इस बार दिवाली होगी खास, 6 दिनों तक चलेगा रोशनी का त्योहार!

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18 अक्टूबर – धनतेरस

दिवाली का पहला दिन धनतेरस कहलाता है. यह दिन धन और स्वास्थ्य के आगमन का प्रतीक माना जाता है. इस दिन लोग सोना, चाँदी, बर्तन या वाहन खरीदना शुभ मानते हैं. शाम को घरों और मंदिरों में दीये जलाए जाते हैं, जिससे त्योहार की शुरुआत होती है और घर-आंगन रोशनी से जगमगा उठता है.

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19 अक्टूबर नरक चतुर्दशी

दूसरा दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली कहलाता है। यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर के वध का प्रतीक है. लोग सुबह तेल और उबटन से स्नान करते हैं.

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20 अक्टूबर दिवाली

दिवाली उत्सव का मुख्य दिन होता है. इस दिन लोग देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं. घरों को रोशनी और दीपों से सजाया जाता है. कहा जाता है कि यह दिन भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौट थे. इस दिन एक साथ पूजा करते हैं, मिठाइयाँ बांटते हैं और पटाखों और फूलों के साथ जश्न मनाते हैं.

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21 अक्टूबर अमावस्या

दिवाली के अगले दिन अमावस्या पड़ती है. यह दिन विशेष पूजा-पाठ के लिए नहीं माना जाता, इसलिए इसे त्योहार में विराम का दिन कहा जा सकता है. लोग इस दिन साधारण दिन की तरह शांति और विश्राम में समय बिताते हैं.

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22 अक्टूबर गोवर्धन पूजा

दिवाली का चौथा दिन गोवर्धन पूजा होता है, इस दिन भक्त भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने इस दिन ग्रामीणों को भारी बारिश और प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था. घर और मंदिरों में अन्नकूट यानी भोजन का पहाड़ बनाया जाता है.

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23 अक्टूबर भाई दूज

दिवाली का आखिरी दिन भाई दूज होता है. यह दिन भाई-बहन के रिश्ते का सम्मान करता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. भाई अपनी बहनों को प्यार, आशीर्वाद और उपहार देते हैं.

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