अक्ल दाढ़ में छिपा है एक हीलिंग पॉवर का खज़ाना! आइए जानते हैं...

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अक्ल दाढ़- सिर्फ दांत नहीं, एक 'स्टेम सेल फैक्ट्री'

हर विजडम टूथ के केंद्र में होता है डेंटल पल्प, एक नरम ऊतक जिसमें रक्त वाहिकाएं और जीवित कोशिकाएं होती हैं. वैज्ञानिकों ने इस पल्प से ऐसी कोशिकाएं निकाली हैं जो प्रयोगशाला में न्यूरॉन, मांसपेशी और हड्डी के सेल्स में बदल सकती हैं.

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हर साल 1 करोड़ दांत निकलते हैं, लेकिन फेंक दिए जाते हैं

अमेरिका में हर साल करीब 10 मिलियन विजडम टूथ निकाले जाते हैं. ज़्यादातर दांत बायोमेडिकल वेस्ट बिन में फेंक दिए जाते हैं, जबकि ये जीवित ऊतक स्टेम सेल्स का अनमोल स्रोत हो सकते हैं.

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बिना दर्द के 'लिविंग टिशू' का खजाना

किशोरों और युवाओं के दांतों में पाए जाने वाले डेंटल पल्प सेल्स सबसे सक्रिय होते हैं. इन दांतों से कोशिकाएं निकालना बिना किसी दर्द या सर्जिकल रिस्क के संभव है. यही कारण है कि अब डेंटिस्ट और वैज्ञानिक मिलकर इन्हें संरक्षित करने पर जोर दे रहे हैं.

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बायोलॉजिकल इंश्योरेंस’: स्टेम सेल बैंकिंग का नया युग

अब कई बायोटेक कंपनियां जैसे Stemodontics दांतों से निकले स्टेम सेल्स को लिक्विड नाइट्रोजन में सुरक्षित रख रही हैं. इसे वे 'Biological Insurance' कहते हैं.

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बिना नैतिक विवाद के चिकित्सा में क्रांति

डेंटल पल्प स्टेम सेल्स को एकत्र करना एंब्रियोनिक स्टेम सेल्स की तरह विवादित नहीं है. इन्हें उस ऊतक से निकाला जाता है जिसे अन्यथा फेंक दिया जाता. इस वजह से ये नैतिक रूप से स्वीकार्य और आसानी से उपलब्ध चिकित्सा संसाधन बन गए हैं.

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Alzheimer’s और Parkinson’s में मिल रही है सफलता

शोध के मुताबिक, डेंटल पल्प सेल्स ने चूहों में पार्किंसन जैसी बीमारियों के लक्षण कम किए हैं. इन कोशिकाओं ने डोपामिन न्यूरॉन्स को फिर से बनाया और अल्ज़ाइमर मॉडल्स में मस्तिष्क की सूजन और टॉक्सिक प्रोटीन के स्तर को घटाया.

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