November 23, 2025
ज़्यादातर लोग 'डोला रे डोला' को इसके ग्रैंड सेट, भारी ज्वैलरी और माधुरी–ऐश्वर्या के आइकॉनिक डांस के लिए याद करते हैं. लेकिन इस गाने के पीछे कोरियोग्राफर सरोज खान का संघर्ष और शारीरिक दर्द छिपा हुआ है, जिसकी कहानी बहुत कम लोग जानते हैं.
'देवदास' की शूटिंग के दौरान सरोज खान तेज़ शारीरिक दर्द से जूझ रही थी. फिर भी वह हर शॉट में परफेक्शन लाने के लिए खुद को मजबूती से तैयार रखती थीं और एक भी दिन कमजोरी दिखने नहीं देती थी.
संजय लीला भंसाली ने बाद में बताया कि सरोज खान की तबीयत इतनी खराब थी कि कई बार वह फर्श पर लेटकर स्टेप समझाती थी. लगभग 15 दिनों तक उन्होंने ऐसे ही मेहनत करके यह गाना शूट कराया, लेकिन फ़ाइनल गाने में कहीं भी यह संघर्ष दिखता नहीं है.
सरोज खान ने खुद माना था कि डोला रे डोला उनके करियर का सबसे मुश्किल गाना था. वह इसे अपनी ज़िंदगी की बड़ी उपलब्धि मानती थीं, क्योंकि इसमें उन्हें अपने अनुभव, धैर्य और हिम्मत सब कुछ झोंक देना पड़ा.
माधुरी दीक्षित और ऐश्वर्या राय दोनों ही बेहतरीन डांसर हैं. सरोज को इस बात का दबाव था कि दोनों को ऐसे स्टेप मिलें जिनसे कोई भी खुद को कम या नज़रअंदाज़ महसूस न करे और दोनों की स्टार पावर बराबर चमके.
सरोज खान ने बताया था कि माधुरी कई दिन पहले से रिहर्सल करके आती थी. वहीं ऐश्वर्या ज्यादातर सेट पर ही स्टेप सीखती और प्रैक्टिस करती थीं, और सरोज को दोनों की ज़रूरत के हिसाब से सेट पर बैलेंस बनाना पड़ता था.
फिल्म रिलीज़ होने तक सरोज की हालत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. 'देवदास' की रिलीज़ के दिन भी वह अस्पताल में थीं, लेकिन फिर भी उनका पहला सवाल यही था कि 'डोला रे डोला' को लोगों ने कितना पसंद किया और क्या उन्हें इसके लिए पैसे और सराहना मिली.
भंसाली ने कहा था कि सरोज खान ने कोरियोग्राफर के काम को वह इज़्ज़त दिलाई, जो पहले सिर्फ एक्टर्स या राइटर्स को मिलती थी. उन्होंने गानों को सिर्फ स्टेप्स नहीं, बल्कि कहानी और इमोशन देने का काम किया, जिससे डांस डायरेक्शन भी स्टार बन गया.