असम एक ऐसा राज्य है जो हर साल मानसून के मौसम में भारी बाढ़ का सामना करता है. हजारों लोग बेघर हो जाते हैं, जान-माल का नुकसान होता है और जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो जाता है. यह सवाल हर साल उठता है कि क्या असम की बाढ़ का कोई स्थायी समाधान नहीं है? आइए समझने का प्रयास करते हैं कि आखिर ऐसा होता क्यों है. क्यों आती है असम में हर साल बाढ़? असम ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के तटीय क्षेत्र में स्थित है. ब्रह्मपुत्र एक विशाल और तेज़ बहाव वाली नदी है, जिसकी गहराई और चौड़ाई मानसून में कई गुना बढ़ जाती है. असम में औसतन 2000-2500 मिमी बारिश होती है, और मानसून के दौरान यह और भी अधिक हो सकती है. इससे नदियां उफान पर आ जाती हैं. ब्रह्मपुत्र हर साल बड़ी मात्रा में गाद बहाकर लाती है, जो नदी तल में जमा होती है और उसकी जलधारण क्षमता घटा देती है. इससे पानी बाहर फैलकर बाढ़ की स्थिति पैदा करता है. पर्वतीय इलाकों में जंगलों की कटाई और अवैध निर्माण के कारण वर्षा जल तेज़ी से नीचे बहता है और बाढ़ की तीव्रता बढ़ती है. इसके अलावा पुराने और जर्जर तटबंध (Embankments), समय पर मरम्मत न होना और कमजोर ड्रेनेज सिस्टम भी समस्या को बढ़ाते हैं.