बलराज साहनी सिर्फ एक अभिनेता नहीं थे, एक विचार थे. बलराज साहनी ने सिनेमा को एक मिशन बनाया और ज़िंदगी को एक मंच दी. ‘दो बीघा ज़मीन’ से लेकर ‘गर्म हवा’ तक, हर किरदार में उन्होंने अपने जले हुए दिल की स्याही डाली. जानिए उनकी वो सच्ची कहानी जब उन्होंने रिक्शा खींचा, पत्नी और बेटी को खोया और आख़िरी शॉट देते हुए ज़िंदगी को अलविदा कह दिया. उनकी ज़िंदगी और मौत दोनों एक क्रांति थी. ये सिर्फ उनके अभिनय की नहीं, एक इंसान की टूटती, फिर उठती आत्मा की कहानी है.