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33वीं बरसी पर शबनम खान की दहाड़- बाबरी ढहने के वक्त मुस्लिम धर्मगुरु कहां छिपे बैठे थे? VIDEO

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Shabnam Khan On Babri Masjid | Muslim | Ayodhya | Sanatana Dharma | Hindu | Eyewitness | Hindi News
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 6 Dec 2025 6:30 AM IST

6 दिसंबर 1992… सिर्फ 6 घंटे. और इन्हीं 6 घंटों में ढहकर धूल में मिल गई वो बदनाम और विवादों में घिरी बाबरी मस्जिद, जिसकी छाया में तीन दशक से ज्यादा भारतीय राजनीति जलती-बुझती रही है. 6 दिसंबर 2025 को इस घटना के 33 साल पूरे हो रहे हैं. लेकिन हैरत की बात ये है कि तीन दशक बाद भी बाबरी की ‘अकाल मौत’ पर मातम मनाने वाले और ‘विधवा-विलाप’ करने वाले चेहरे आज भी उसी जगह मौजूद हैं—जैसे समय वहीं का वहीं थम गया हो. लेकिन असली सवाल यह है-क्या बाबरी विध्वंस के 33 साल बाद भी इस घटना पर आंसू बहाना वाकई जायज़ है? या फिर यह सिर्फ राजनीति की पुरानी स्क्रिप्ट का रिप्ले है?इसी बरसी पर स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर-क्राइम इन्वेस्टीगेशन, संजीव चौहान ने एक खास बातचीत की शबनम खान से- वही शबनम खान, जो दिल्ली से अयोध्या पैदल चलकर उन मुस्लिम धर्मगुरुओं के दिल-दिमाग में हलचल मचाने के लिए जानी गईं, जिन पर “धर्म के ठेकेदार” होने के आरोप लगते हैं.