उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचक विवाद ने पूरे देश में एक नई बहस छेड़ दी है कि क्या केवल ब्राह्मणों को ही धार्मिक कथा कहने का अधिकार है? कथित रूप से कुछ गैर-ब्राह्मण कथावाचकों को अपमानित किया गया, उनके बाल मुंडवा दिए गए, और धार्मिक कर्म से रोका गया. इस घटना के वायरल वीडियो ने पुरानी जातिगत मान्यताओं और धार्मिक अधिकार के दायरे को फिर से चर्चा में ला दिया है. लेकिन क्या वास्तव में वेद, उपनिषद और धर्मशास्त्रों में ऐसा कोई आदेश है जो कथावाचन को केवल ब्राह्मणों तक सीमित करता है? इस विशेष रिपोर्ट में हम परंपराओं, शास्त्रों और आधुनिक सामाजिक दृष्टिकोणों के बीच संतुलन बिठाने की कोशिश करेंगे. जानिए क्या कहता है वैदिक धर्म, कौन कर सकता है कथा, और यह विवाद भारतीय समाज को कहां ले जा रहा है.