दिल्ली में ब्लाइंड रिलीफ एसोसिएशन द्वारा संचालित स्कूल में इस बार दीवाली में नजारा कुछ अलग होगा. जहां आम लोग दीयों और रोशनी से घर सजाते हैं, वहीं इस स्कूल के दृष्टिबाधित बच्चे अपने हुनर और हौसले से सबका दिल जीत रहे हैं. सरकार की सहायता से चल रहे इस स्कूल में न केवल बच्चों को शिक्षा दी जाती है, बल्कि यहां एक टीचर ट्रेनिंग सेंटर भी है, जहां दृष्टिबाधित लोगों के लिए ऑडियो बुक्स रिकॉर्ड की जाती हैं- और इन आवाज़ों के पीछे भी होते हैं ब्लाइंड वॉयस रिकॉर्डिंग आर्टिस्ट. इस खास अवसर पर बच्चों ने हाथों से दीये, लालटेन और रंग-बिरंगी सजावट तैयार कर रहे हैं. वे कहते हैं - “हम रोशनी को देख नहीं सकते, लेकिन उसे महसूस कर सकते हैं.” इन बच्चों का उत्साह और रचनात्मकता यह साबित करती है कि असली दीवाली सिर्फ़ रोशनी का नहीं, बल्कि उम्मीद, साहस और इंसानियत का त्योहार है.. देखिए यह प्रेरणादायक कहानी — उन बच्चों की, जो अपनी आंखों से नहीं, दिल की रोशनी से दुनिया को जगमगाते हैं...