चांद पर इंसान की नई रेस शुरू हो चुकी है. अब यह केवल झंडा गाड़ने तक सीमित नहीं रही, बल्कि लक्ष्य है पहला न्यूक्लियर रिएक्टर लगाना. अमेरिका, चीन और रूस इस दिशा में सबसे आगे हैं. NASA का लक्ष्य है कि 2030 तक 100 किलोवॉट क्षमता वाला परमाणु रिएक्टर चांद पर स्थापित किया जाए. वहीं, चीन-रूस की इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्टेशन योजना के तहत 2033–2035 के बीच चांद पर रिएक्टर लगाने की तैयारी है. चांद पर लगातार ऊर्जा आपूर्ति के लिए सौर ऊर्जा पर्याप्त नहीं है, क्योंकि वहां 14 दिन लंबी रातें होती हैं. ऐसे में न्यूक्लियर रिएक्टर ही स्थायी बिजली उत्पादन और भविष्य की मानवीय बस्तियों, रोबोटिक मिशनों तथा रिसर्च स्टेशनों के लिए सबसे विश्वसनीय विकल्प माना जा रहा है.