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यूपी शिक्षक भर्ती मामला: सुप्रीम कोर्ट ने HC के आदेश पर लगाई रोक, योगी सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को 69 हजार सहायक शिक्षकों की नई लिस्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया था।

यूपी शिक्षक भर्ती मामला: सुप्रीम कोर्ट ने HC के आदेश पर लगाई रोक, योगी सरकार से मांगा जवाब
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नवनीत कुमार
by: नवनीत कुमार

Published on: 9 Sept 2024 6:05 PM

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को 69 हजार सहायक शिक्षकों की नई लिस्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया था। इस आदेश के तहत, हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में संशोधन करने और नई लिस्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बाद, इस मामले में हाईकोर्ट का निर्णय फिलहाल स्थगित कर दिया गया है, और अब इस मुद्दे पर आगामी सुनवाई का इंतजार किया जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है और मामले की अंतिम सुनवाई की तारीख भी निर्धारित की है।

हाईकोर्ट ने 2019 में हुई 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों की सूची को नए सिरे से तैयार करने का आदेश दिया था, और 2020 और 2022 की चयन सूचियों को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने नई सूची बनाने के लिए 1981 के नियमों और आरक्षण अधिनियम 1994 के अनुसार निर्देश दिए थे।

इसके साथ ही, कार्यरत शिक्षकों की सेवाओं को प्रभावित किए बिना इस प्रक्रिया को पूरा करने के निर्देश भी दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले ने राज्य सरकार के लिए राहत प्रदान की है और वर्तमान में कार्यरत शिक्षकों के भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति को समाप्त किया है।

क्या था हाईकोर्ट का आदेश?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2019 में हुई 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों की सूची नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने 1 जून 2020 और 5 जनवरी 2022 की चयन सूचियां को दरकिनार कर नियमों के तहत तीन माह में नई चयन सूची बनाने के निर्देश दिए। कोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा था। वहीं, पिछली सूची के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की सेवा पर भी संकट खड़ा हो गया था।

कोर्ट ने कहा था कि नई चयन सूची में 1981 के नियम के तहत आरक्षण अधिनियम 1994 के मुताबिक आरक्षण नीति का पालन किया जाए। अगर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी की मेरिट सामान्य श्रेणी के बराबर आए तो वह सामान्य श्रेणी में आ जाएगा। इन निर्देशों के तहत ऊपरी क्रम में आरक्षण दिया जाएगा।

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सूची तैयार करने में अगर कोई कार्यरत अभ्यर्थी प्रभावित हो तो राज्य सरकार या सक्षम प्राधिकारी उसे सत्रांत का लाभ प्रदान करेंगें। जिससे इसका खामियाजा विद्यार्थियों को न भुगतना पड़े। कोर्ट ने इन निर्देशों के अनुसार एकल पीठ के आदेश व निर्देशों को संशोधित कर दिया। इस मामले में 69 हजार प्राथमिक सहायक शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण के विवाद के मुद्दे उठाए गए थे।

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