Pakistan : सिंध की पहली हिंदू महिला पुलिस अधिकारी बनी मनीषा रोपेटा, संघर्ष की कहानी सुनकर गर्व करेंगे आप
पाकिस्तान के सिंध प्रांत की पहली हिंदू महिला पुलिस अधिकारी, मनीषा रोपेटा, ने उम्मीद जताई है कि उनकी यात्रा से उनके समुदाय की अन्य लड़कियों को प्रेरणा मिलेगी और वे भी इस क्षेत्र में करियर बनाने का निर्णय लेंगी.

नई दिल्ली : पाकिस्तान के सिंध प्रांत की पहली हिंदू महिला पुलिस अधिकारी, मनीषा रोपेटा, ने उम्मीद जताई है कि उनकी यात्रा से उनके समुदाय की अन्य लड़कियों को प्रेरणा मिलेगी और वे भी इस क्षेत्र में करियर बनाने का निर्णय लेंगी. जैकोबाबाद की रहने वाली मनीषा ने 2021 में सिंध लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की थी. यह उनके प्रगतिशील सोच वाले मध्यम वर्गीय परिवार के लिए उपलब्धि है. पाकिस्तान पुलिस में दो प्रकार के अधिकारी होते हैं - एक वे जो अनुभव के बल पर ऊंचे पदों तक पहुंचते हैं, और दूसरे वे जो 'सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेस' (सीएसएस) परीक्षा पास कर पदोन्नति पाते हैं.
पाकिस्तानी पुलिस में शिक्षित महिला अधिकारियों की संख्या बेहद कम है. ऐसे में डीएसपी मनीषा रोपेटा का सिंध पुलिस बल में योगदान और छवि सुधारने में विशेष योगदान रहा है. उन्होंने पाकिस्तान की अभिनेत्री निमरा खान के अपहरण के प्रयास मामले को सफलतापूर्वक सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. निमरा ने बताया, "शुरुआत में कई लोग मेरे अपहरण के प्रयास को हल्की घटना मान रहे थे, लेकिन डीएसपी मनीषा ने मुझे सही मार्गदर्शन दिया, जिससे मैं आत्मविश्वास से हालात का सामना कर पाई."
'13 वर्ष की उम्र में पिता का साथ खो दिया'
निमरा के साथ बातचीत में उन्हें यह महसूस हुआ कि एक शिक्षित महिला अधिकारी से बात करना कितना सुकूनदायक होता है. मनीषा को एक महिला पुलिस अधिकारी और अल्पसंख्यक समुदाय से होने के नाते शुरू में चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन यह उनके लिए पीड़िताओं से बेहतर संवाद और उनकी सहायता करने में मददगार साबित हुआ. उन्होंने कहा, "जब मैंने निमरा का केस लिया, तो मैं उसकी तकलीफ को गहराई से महसूस कर सकती थी." मनीषा के सहकर्मी और साथी अधिकारी उनके काम और समर्पण की सराहना करते हैं.
मनीषा ने कहा, "लैंगिक मुद्दों की कुछ चुनौतियाँ हो सकती हैं, लेकिन मैं कभी खुद को अलग-थलग महसूस नहीं करती. मुझे गर्व है कि मैं हिंदू महिला होकर पुलिस में हूं. पुलिस की वर्दी पहनते समय मुझे गर्व महसूस होता है, और मैं उम्मीद करती हूँ कि मेरी कहानी से हमारे समुदाय की लड़कियाँ प्रेरित होंगी और इस क्षेत्र में भी अपने कदम रखेंगी." उन्होंने यह भी बताया कि जब वह 13 साल की थीं, तब उनके पिता, जो जैकोबाबाद में व्यापारी थे, का निधन हो गया था. तब से उनके इकलौते भाई ने उन्हें हमेशा इस पेशे में जाने के लिए प्रोत्साहित किया. मनीषा का मानना है कि सिंध में हिंदू लड़कियाँ आमतौर पर चिकित्सा या शिक्षण में करियर बनाती हैं, और पुलिस में आना उनके लिए एक साहसिक कदम है.