कौन है Soni Bisht? शादी के एक महीने बाद हुईं विधवा, भारतीय सेना में शामिल होकर पूरा किया पति का सपना
उत्तराखंड के हल्द्वानी की 26 साल की सोनी ने पिछले साल कई त्रासदियों को पार करते हुए वह सेवा चयन बोर्ड (एसएसबी) का इंटरव्यू पास करने और चेन्नई में ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी(ओटीए) में सेलेक्ट होने में सफल रही.

भारत की वीर वधु सोनी बिष्ट ने एक अधिकारी के रूप में भारतीय सेना की वर्दी पहनकर अपने दिवंगत पति के सपने का सम्मान किया. जिसे उन्होंने अपनी शादी के ठीक एक महीने बाद खो दिया था. 18 कुमाऊं रेजिमेंट के सिपाही नीरज सिंह भंडारी को जनवरी 2023 में एक दुर्घटना में शहीद हो गए थे. जिसके बाद उनकी विधवा पत्नी सोनी बिष्ट ने दुखों का दामन पकड़ने के बजाए हिम्मत दिखाई और अपने लिए जीवन में एक नया मोड़ लिया.
उत्तराखंड के हल्द्वानी की 26 साल की सोनी ने पिछले साल कई त्रासदियों को पार करते हुए वह सेवा चयन बोर्ड (एसएसबी) का इंटरव्यू पास करने और चेन्नई में ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी(ओटीए) में सेलेक्ट होने में सफल रही. ब्रिगेड ऑफ़ गार्ड्स बटालियन के रिटायर्ड सूबेदार कुंदन सिंह की बेटी सोनी ने कहा, 'जब मुझे कुमाऊं रेजिमेंट के अधिकारियों से वीर नारी प्रवेश के बारे में पता चला, तो मेरे पिता ने मुझे इस राह पर चलने के लिए प्रेरित किया. आर्मी ऑर्डनेंस कोर में कमीशन मिलने के बाद गर्व से भरकर उन्होंने कहा, "यह एक कठिन लड़ाई थी, लेकिन मैंने हर चुनौती पर विजय हासिल की.
कौन है सोनी बिष्ट?
26 साल की सोनी पर दुखों का पहाड़ तब टूटा जब वह शादी के महीने बाद ही विधा हो गई. वही हल्द्वानी उत्तराखंड की मूल निवासी है . साल 2022 दिसंबर में सोनी बिष्ट की शादी नीरज सिंह भंडारी से हुई थी जो भारतीय सेना में थे. नीरज 18 कुमाऊं रेजिमेंट का हिस्सा थे. जनवरी 2023 में एक सड़क हादसे में नीरज की मौत हो गई. नीरज के निधन की खबर मिलते ही मां को हार्ट अटैक आ गया. इसके बाद सोनी के देवर और नीरज के छोटे भाई भी बीमार पड़ गए. शादी के एक महीने बाद किसी के साथ ऐसा हो तो ना जाने कैसे कैसे ख्याल आने लगते हैं। शादी के तुरंत बाद सोनी का जीवन पूरी तरह से बदल गया था. हालांकि उन्हें कई लोगों ने सहयोग किया। सोनी बिष्ट के पिता सुबेदार कुंदन सिंह ने उन्हें सेना में जाने की सलाह दी और फिर तैयारी शुरू हो गई.
स्पेशल कोटा से की अप्लाई
आर्मी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की थी. इसके बाद जोधपुर में ग्रेजुएशन किया. सोनी ने ये भी बताया कि नीरज के निधन के बाद वह डॉक्यूमेंटेशन के लिए कुमाऊं रेजिमेंट गई थीं. कमांडिंग ऑफिसर ने उन्हें सेना के जवानों की विधवा वाले स्पेशल कोटा से ओटीए चेन्नई में अप्लाई करने को कहा. रिटायर्ड सेना के अधिकारी मेजर जनरल यश मोर ने सोनी की एसएसबी इंटरव्यू के लिए पूरी तैयारी करवाई. सोनी बिष्ट कहती है कि मेरी किस्मत अच्छी है कि मेरे कठिन वक्त में कई लोगों ने सहयोग किया और उसी के बदौलत ये सपना साकार हुआ है। परिवार वालों को जब पता चला तो सब खुशी में रोने लगे. पूरे परिवार के लिए ये एक बड़ा पल है क्योंकि बीता एक साल बुरे सपने की तरह था।सोनी बिष्ट की कहानी युवाओं के लिए एक उदाहरण है.
वर्दी के लिए की कड़ी मेहनत
न्यू कमीशन अधिकारियों में असम के जोरहाट से वेद विजय नियोग नाम के एक और कैडेट शामिल थे, जिन्होंने कई सालों के संघर्ष के बाद भारतीय सेना में कमीशन हासिल किया. ग्रेजुएशन होने के बाद शुरू में भारतीय सैन्य एकेडमी के लिए उनकी सिफारिश की गई थी, लेकिन पारिवारिक कठिनाइयों के कारण वेद ने अपना नाम वापस ले लिया. दिल्ली में, उन्होंने दिन में कॉफ़ी बनाने और रात में खाना पहुंचाने जैसे काम किए, ताकि वे अपना सर्वाइव कर सकें. बाद में उन्हें बड़े ब्रांडों के साथ ट्रैवल फ़ोटोग्राफ़र के रूप में काम मिला, लेकिन उनका दिल वर्दी पर ही टिका रहा. दृढ़ निश्चयी होकर उन्होंने संयुक्त रक्षा सेवा (सीडीएस) परीक्षा पास की और ओटीए में सेलेक्ट होने में कामयाब रहे.
अधिकारियों से निस्वार्थ सेवा का वादा
ये दोनों कैडेट भारतीय सेना के विभिन्न अंगों और सेवाओं में शामिल 133 अधिकारी कैडेट और 24 महिला अधिकारी कैडेट में से थे. इसके अलावा, पांच विदेशी देशों के पांच विदेशी अधिकारी कैडेट और सात महिला विदेशी अधिकारी कैडेट ने अपना ट्रेनिंग पूरी कर ली. समीक्षा अधिकारी, इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जॉनसन पी मैथ्यू ने मान्या एम कुमार को स्वॉर्ड ऑफ ऑनर, प्रगति ठाकुर को ओटीए गोल्ड मैडल, मान्या एम कुमार को सिल्वर मैडल और सुरजीत यादव को ब्रोंज मैडल से सम्मानित किया. अपने संबोधन में उन्होंने युवा अधिकारियों से निस्वार्थ सेवा और अपने सभी कार्यों में अटूट एक्सीलेंस के मूल्यों को बनाए रखने का आग्रह किया.