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3 दिन तक चला रेस्क्यू ऑपरेशन, 8 की मौत, 46 लोग सुरक्षित; पढ़ें बर्फीली तबाही की आपबीती | VIDEO

उत्तराखंड के चमोली जिले में माणा गांव के पास बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के कैंप में शुक्रवार को आए भीषण हिमस्खलन ने भारी तबाही मचा दी. इस हादसे में करीब 54 मजदूर बर्फ में दब गए थे, जिनमें से 46 को सुरक्षित बचा लिया गया, लेकिन 8 मजदूरों की मौत हो गई.

3 दिन तक चला रेस्क्यू ऑपरेशन, 8 की मौत, 46 लोग सुरक्षित; पढ़ें बर्फीली तबाही की आपबीती | VIDEO
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 2 March 2025 8:09 PM IST

उत्तराखंड के चमोली जिले में माणा गांव के पास बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के कैंप में शुक्रवार को आए भीषण हिमस्खलन ने भारी तबाही मचा दी. इस हादसे में करीब 54 मजदूर बर्फ में दब गए थे, जिनमें से 46 को सुरक्षित बचा लिया गया, लेकिन 8 मजदूरों की मौत हो गई. रविवार शाम करीब 5 बजे तक रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो गया, और आखिरी लापता शव भी बरामद कर लिया गया. अब सवाल यह है कि इस भयावह हादसे से बचने वाले मजदूरों की क्या आपबीती रही और पूरे घटनाक्रम की टाइमलाइन क्या है? आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में.

चमोली के डीएम ने क्या कुछ कहा?

चमोली के डीएम संदीप तिवारी ने एएनआई को बताया, 'आज शाम 5:30 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया. हादसे में फंसे 54 सीमा सड़क संगठन (BRO) के श्रमिकों में से 46 को सुरक्षित बचा लिया गया, जबकि 8 लोगों की दुखद मृत्यु हो गई. उन्होंने आगे कहा, 'जिला प्रशासन को केंद्र और राज्य सरकार का पूरा सहयोग मिला, जिससे यह ऑपरेशन सफल रहा. कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शवों को उनके परिजनों को सौंप दिया जाएगा.

मनोज भंडारी ने सुनाई आपबीती

माणा (चमोली) हिमस्खलन घटना पर जोशीमठ आर्मी हॉस्पिटल में भर्ती में से एक मनोज भंडारी ने कहा, 'यह सब इतना अचानक हुआ कि हमें कुछ भी पता नहीं चला. भयंकर तूफान के कारण हमारे सभी कंटेनर नष्ट हो गए... किसी तरह हम सेना के शिविर की ओर भाग के गए. मैं अब ठीक हूं, मौसम इतना खराब था कि सेना और सरकार क्या कर सकती थी. सरकार, सेना सबका बहुत-बहुत धन्यवाद.

बचाव में 200 से अधिक सेना तैनात

भारतीय सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), सीमा सड़क संगठन (BRO) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में लगातार जुटी रहीं. इस हाई-इंटेंसिटी बचाव अभियान में 200 से अधिक कर्मियों को तैनात किया गया था. इसके अलावा, बचाव कार्यों में सहायता के लिए खोजी कुत्तों को भी चमोली भेजा गया, जिससे मलबे में फंसे लोगों को तलाशने में मदद मिली.

उत्तराखंड न्‍यूज
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