क्या है उत्तराखंड का भू कानून? जिसे लेकर पूर्व विधायक ने विधानसभा के बाहर किया हंगामा
उत्तराखंड बजट सत्र से पहले भू-कानून को लेकर हंगामा शुरू हुआ. पूर्व विधायक भीमलाल आर्य ने कहा विधानसभा के बाहर प्रदर्शन करते हुए भू-कानून की मांग की. बताया गया कि पूर्व विधायक ने पुलिस द्वारा लगाई गई बैरिकेटिंग को भी पार किया और नारेबाजी करना शुरू कर दिया.

उत्तराखंड में 18 फरवरी से लेकर 20 फरवरी तक बजट सत्र जारी है. मंगलवार से सत्र की शुरुआत होने वाली थी. लेकिन उससे पहले ही विधानसभा के बाहर पूर्व विधायक भीमलाल आर्या ने हंगामा शुरू कर दिया. हंगामा शुरू हुआ भू-कानून की मांग को लेकर, बताया गया कि पूर्व विधायक ने पुलिस द्वारा लगाई गई बैरिकेटिंग को भी पार किया और नारेबाजी करना शुरू कर दिया.
हंगामा बढ़ न जाए इसपर सुरक्षाकर्मियों ने स्थिति को कंट्रोल करने की कोशिश की. इस दौरान उन्हें रोकते-रोकते सुरक्षाकर्मियों के भी हाथ पांव फूल गए. जब लगा कि मामला बढ़ सकता है तो सुरक्षाकर्मियों ने पूर्व विधायक और उनके समर्थक को रोकने के लिए पकड़ा और पुलिस जीप में बैठा लिया. वहीं भले ही कानून को लेकर उन्होंने मांग की हो. लेकिन इस मामले ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है.
चप्पे-चप्पे पर तैनात पुलिस बल
दरअसल विधानसभा के बाहर अधिक सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है. ताकी कोई भी प्रदर्शनकारी विधानसभा के बाहर आकर प्रदर्शन न कर सके. कई बैरिकेटिंग भी की गई है. लेकिन भीमलाल आर्या ने सभी बैरिकेटिंग पार करते हुए प्रदर्शन तो किया ही साथ ही नारेबाजी भी शुरू कर दी. जिसने टाइट सिक्योरिटी फॉर्स वाली इस व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए. लिहाजा पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. हालांकि ये पहली बार नहीं जब उत्तराखंड में भू-कानून की मांग की गई हो. पिछले काफी समय से युवा से लेकर विपक्ष इस कानून की मांग कर रहा है. वहीं विधानसभा सत्र के पहले दिन आज विपक्ष ने इस मुद्दे को एक बार फिर उठाने का फैसला लिया. अब आइए जान लेते हैं कि आखिर भू-कानून है क्या जिसकी मांग की जा रही है और खूब प्रदर्शन किया जा रहा.
क्या है भू-कानून
राज्य से बाहर लोग उत्तराखंड में जमीन खरीदने की रुचि रखते हैं. कई लोग जमीन में निवेश कर उसे खरीद भी रहे हैं, जो स्थानिय लोगों के लिए चिंता का विषय है. चिंता इस बात की कि वह राज्य में रहकर जमीन नहीं खरीद पा रहे और बाहरी लोगों द्वारा जमीनों की खरीदारी बढ़ती जा रही है. ऐसे में स्थानिय लोगों को डर है कि वह राज्य में बेघर होकर रह जाएंगे. इसलिए इसे लेकर कानून लाने की मांग की जा रही है.