Uttarakhand: लैंडस्लाइड से नदी पर 2 km लंबी झील! बाढ़ की दहशत पल-पल जी रहे कुंवारी गांव के लोग
Uttarakhand: बागेश्वर के कुंवारी गांव में लैंडस्लाइड के कारण शंभू नदी पर 2,000 मीटर ऊंची झील बन गई है. इस घटना से निचले इलाकों में दहशत का माहौल हैं. लोगों को आशंका है कि यहां कभी भी बाढ़ आ सकती है. जियोलॉजिकल साइंटिस्ट लैंडस्लाइड के लिए टेक्टोनिक बदलावों को जिम्मेदार मानते हैं.

Uttarakhand: शम्भू नदी बागेश्वर से निकलती है और चमोली जिले में पिंडर नदी में मिल जाती है. यहां शंभू नदी पर 2,000 मीटर से अधिक लंबी भूस्खलन से झील बन गई है. इस घटना ने चमोली के अरमाल, थराली और नारायणबगड़ सहित निचले इलाकों के गांवों पर आने वाले विनाशकारी प्रभाव के बारे में निवासियों और एक्सपर्ट्स के बीच चिंता बढ़ा दी है.
शम्भू नदी पर बनी झील पहली बार नहीं बनी है, इससे पहले भी इसी तरह की घटनाएं 2022 और 2023 में हुई थी. उस वक्त अधिकारियों को रुकावटों को दूर करने और अचानक रुकावटों के टूटने की स्थिति में निचले इलाकों में बाढ़ को रोकने के लिए टीमों को तैनात करना पड़ा था.
पहली बार बनी इतनी लंबी झील
कपकोट ब्लॉक चीफ गोविंद सिंह दानू ने पिंडर घाटी के नियमित दौरे के दौरान झील के निर्माण को सबसे पहले देखा था. उन्होंने कहा, 'इस बार झील की लंबाई पहले की घटनाओं से अधिक है, जिससे यह बहुत बड़ा खतरा बन गया है. पहले इसके विस्तार के कारण जिला अधिकारियों की ओर से अस्थायी कार्रवाई की गई थी, जिन्होंने झील से पानी की निकासी सुनिश्चित की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.'
जियोलॉजिकल एक्सपर्ट्स की राय
जियोलॉजिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि टेक्टोनिक बदलावों के कारण लैंडस्लाइड हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप मलबा जमा हो रहा है, जो नदी के प्रवाह को बाधित कर रहा है, जिससे एक अस्थिर झील बन रही है. कपकोट के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट अनुराग आर्य ने कहा, 'जल्द ही सिंचाई विभाग की एक टीम स्थिति का आकलन करने के लिए भेजी जाएगी.'
जोखिम को नहीं किया जा सकता है नजरअंदाज
जी.बी. पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरनमेंट के निदेशक प्रोफेसर सुनील नौटियाल ने चेतावनी दी है कि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो हिमालयी नदियों में ऐसी झीलें बाढ़ का कारण बन सकती हैं. नौटियाल ने कहा, 'इस मुद्दे पर तत्काल रिसर्च की आवश्यकता है. जोखिम इतने गंभीर हैं कि उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.'