उत्तरकाशी में मस्जिद को लेकर छिड़ा विवाद, हिंदू संगठनों ने लगाए ये आरोप, झड़प में कई लोग घायल
उत्तरकाशी के उत्तराखंड जिले में हिंदू संगठनों ने एक मस्जिद को "अवैध" बताते हुए उसके खिलाफ प्रदर्शन किया. स्थिति को काबू में लाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों को चोटें आईं. उत्तरकाशी पुलिस के अनुसार, इस रैली में पत्थरबाजी के वजह से 7 पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनमें से 2 गंभीर रूप से घायल हुए है.

24 अक्टूबर को उत्तरकाशी के उत्तराखंड जिले में ‘संयुक्त सनातन रक्षक संघ’ के बैनर तले कुछ हिंदू संगठनों ने एक मस्जिद को "अवैध" बताते हुए उसके खिलाफ प्रदर्शन किया. भीड़ मस्जिद की तरफ बढ़ना चाह रही थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, जिससे दोनों पक्षों के बीच झड़प हो गई और फिर पत्थरबाजी की घटनाएं भी सामने आईं. स्थिति को काबू में लाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों को चोटें आईं.
इंडिया टुडे से जुड़े ओंकार बहुगुणा की रिपोर्ट के मुताबिक, 21 अक्टूबर को उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने एक जांच रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें मस्जिद को निजी जमीन पर वैध तरीके से बना बताया गया था. यह मस्जिद जिला मुख्यालय के पास है. इसके बावजूद, हिंदू संगठन इस मस्जिद को गिराने की मांग कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों को मस्जिद तक जाने से रोकने पर, उन्होंने गंगोत्री हाईवे पर प्रदर्शन किया और लगभग 2-3 घंटे तक सड़क पर बैठे रहे.
पुलिस के साथ झड़प और पथराव में पुलिसकर्मी घायल
उत्तरकाशी पुलिस के अनुसार, इस रैली में पत्थरबाजी के वजह से 7 पुलिसकर्मी समेत 27 लोग घायल हुए है और उन्हें देहरादून के हायर सेंटर में इलाज के लिए रेफर किया गया. झड़प और पथराव के वजह से शहर में हालत तनाव वाले हो गए है. इसके चलते जिला प्रशासन ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा-163 लागू कर दी है, जिसमें पांच से ज्यादा लोग एक साथ इकट्ठा नहीं हो सकते हैं और सार्वजनिक सभाओं- जैसे, नुक्कड़ सभा, जुलूस या प्रदर्शन बिना अनुमति नहीं होती है.
उत्तरकाशी के SP ने कहा-
उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक (SP) अमित श्रीवास्तव ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि घटना दोपहर ढाई बजे के आस-पास हुई है. एसपी ने आगे कहा- "प्रदर्शन कर रहे लोग मस्जिद की तरफ जाने की मांग कर रहे थे, उन्होंने कहा कि हम बैरिकेडिंग हटाएं. जब हमने ऐसा नहीं किया तो वे उग्र हो गए और पत्थरबाजी शुरू कर दी. फिर मने भीड़ को भगाने का प्रयास किया."
विवाद की शुरुआत और प्रशासनिक प्रक्रिया
यह विवाद तब शुरू हुआ जब इस साल मस्जिद की वैधता को लेकर एक RTI फाइल की गई थी. इसके जवाब में प्रशासन ने बताया कि उसके पास मस्जिद से संबंधित कुछ दस्तावेज़ नहीं हैं. इसके बाद मस्जिद गिराने की मांग के साथ प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया और 6 सितंबर को कुछ संगठनों ने जिला कार्यालय के बाहर धरना दिया. तीन दिन के अल्टीमेटम के बावजूद मस्जिद नहीं हटाई गई, जिसके बाद DM ने मामले की जांच के लिए कमिटी गठित की.
कमिटी की रिपोर्ट में मस्जिद को वैध ठहराया गया और यह बताया गया कि यह निजी जमीन पर बनी है. SP अमित श्रीवास्तव ने पुष्टि की कि यह जमीन चार व्यक्तियों के नाम पर रजिस्टर्ड है.
रिपोर्ट के अनुसार, 'संयुक्त सनातन रक्षक संघ' ने कमिटी की रिपोर्ट को इंकार करने से मना कर दिया और अपनी बात पर अड़ गए कि मस्जिद अवैध है.