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आज से उत्तराखंड में UCC लागू, क्या होंगे बदलाव; शादी-तलाक से वसीयत तक- समझें कानून
उत्तराखंड में आज से यानी कि सोमवार से समान नागरिक संहिता (UCC) लागू हो जाएगी. इसके साथ ही यह भारत का पहला राज्य होगा, जहां यह कानून प्रभावी होगी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस कानून को लेकर सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. अब प्रदेश में लिंग, जाति या धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा.

समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code, UCC) का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून व्यवस्था लागू करना है, चाहे उनका धर्म या जाति कुछ भी हो. यह एक ऐतिहासिक कदम है जो उत्तराखंड को एक मिसाल के रूप में प्रस्तुत करता है. UCC या समान नागरिक सहिंता लागू होने के बाद राज्य में शादी, तलाक लिव इन रिलेशनशिप से उत्ताधिकार तक बहुत कुछ बदलाव होगा. उत्तराखंड में अब धर्म के नागरिकों के लिए समान कानून लागूं होंगे. अभी तक शादी, तलाक और वसीयत जैसे मामलों में अलग- अलग पर्सनल लॉ के नियम होते थे.
UCC लागू होने के बाद क्या- क्या बदलाव?
- सभी धर्म और समुदायों के लिए विवाह, तलाक, और गुजारा भत्ता के लिए एक समान कानून लागू होगा. शादियों का पंजीकरण अनिवार्य होगा. विवाह के 6 महीने के भीतर पंजीकरण करना अनिवार्य है. 26 मार्च 2010 से पहले की शादियों के लिए पंजीकरण आवश्यक नहीं है. पंजीकरण न कराने पर ₹25,000 तक जुर्माना लगाया जा सकता है. पंजीकरण नहीं कराने पर सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा. महिलाओं को पुरुषों के समान तलाक का अधिकार मिलेगा.
- बेटा और बेटी को संपत्ति में बराबर का अधिकार मिलेगा. जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेदभाव नहीं होगा. दोनों को समान अधिकार प्राप्त होंगे. उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर माना जाएगा.
- लिव-इन रिलेशनशिप पर प्रावधान- लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य होगा. यदि कपल की उम्र 18 से 21 साल के बीच है, तो उन्हें रजिस्ट्रेशन के दौरान माता-पिता की सहमति प्रस्तुत करनी होगी.
- बहुविवाह और हलाला पर रोक- उत्तराखंड में अब से बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लगेगी. हलाला जैसी प्रथाओं को समाप्त किया जाएगा.
- लड़कियों की शादी की उम्र में समानता- लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र सभी धर्म और जातियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित की गई है.
- ट्रांसजेंडर और धार्मिक परंपराओं पर कोई छेड़छाड़ नहीं- ट्रांसजेंडर समुदाय और धार्मिक मामलों, जैसे पूजा और परंपराओं, में UCC के तहत कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. शेड्यूल ट्राइब्स को UCC के नियम और कानून से बाहर रखा गया है. उनके पारंपरिक कानून और परंपराओं में कोई बदलाव नहीं होगा.
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने का निर्णय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 2022 के विधानसभा चुनावों में किए गए एक प्रमुख वादे का परिणाम है. चुनाव में जीत के बाद, राज्य सरकार ने UCC लागू करने की दिशा में तेज़ी से कदम उठाए. भाजपा ने उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान UCC लागू करने का वादा किया था. इसे समानता और न्याय सुनिश्चित करने के एक बड़े सुधार के रूप में प्रचारित किया गया था. चुनाव में जीत के बाद, 22 मार्च 2022 को भाजपा सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में UCC पर एक्सपर्ट पैनल के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. UCC को राज्य में लागू करने के लिए विशेषज्ञों का एक पैनल गठित किया गया.