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मलबे में दबे लोगों को ढूंढना... धराली आपदा में अब भी 43 लोग लापता, उत्तरकाशी में फिर मंडराया खतरा; क्यों दी गई चेतावनी?

सोमवार सुबह उत्तरकाशी में हल्की से मध्यम बारिश हुई, जिससे धुंध और कम दृश्यता के कारण हेलीकॉप्टर सेवा रोकनी पड़ी. खराब मौसम के चलते सड़क मरम्मत का काम भी धीमा हो गया है.

मलबे में दबे लोगों को ढूंढना... धराली आपदा में अब भी 43 लोग लापता, उत्तरकाशी में फिर मंडराया खतरा; क्यों दी गई चेतावनी?
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( Image Source:  X : @Dig_raw21 )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Published on: 12 Aug 2025 6:44 AM

धराली में 5 अगस्त को आई भीषण बाढ़ के लगभग एक हफ्ते बाद, अधिकारियों ने सोमवार को पहली बार आधिकारिक तौर पर यह जानकारी दी कि अब भी 43 लोग लापता हैं. साथ ही, उन्होंने चेतावनी जारी की कि 15 अगस्त तक उत्तरकाशी और उसके आस-पास के जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है. इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में नए भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं हो सकती हैं, जिससे खोज और राहत कार्यों में और भी देरी हो सकती है.

गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने बताया कि मलबे में दबे लोगों को ढूंढना प्रशासन की सबसे बड़ी प्राथमिकता है. राहत और बचाव कार्य के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और भूवैज्ञानिकों की एक टीम मिलकर काम कर रही है. लेकिन इलाके की हालत ऐसी है कि अस्थिर पहाड़ी ढलान और टूटी हुई सड़कें, छोटी-सी दूरी तय करने को भी मुश्किल बना रही हैं.

29 नेपाली मजदूर लापता थे, 5 से हुआ संपर्क

लापता लोगों में 9 सैनिक, 8 धराली के स्थानीय लोग, 5 आस-पास के गांवों के निवासी, और बाकी टिहरी, बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल के लोग शामिल हैं। बाढ़ के बाद से 29 नेपाली मजदूर लापता थे, जिनमें से 5 से फिर से संपर्क हो गया है, लेकिन बाकी अब तक नहीं मिले हैं. अब तक दो शव बरामद हुए हैं. धराली में इस समय लगभग 300 लोग ऐसे हैं जो राहत वाहनों की आवाजाही के बीच वहीं रुक गए हैं, जबकि जिनके घर दूसरे इलाकों में हैं, वे उत्तरकाशी या देहरादून चले गए हैं. प्रशासन अब तक 1,278 लोगों को सुरक्षित निकाल चुका है, जिनमें सभी फंसे हुए पर्यटक और बिना किसी साधन के स्थानीय लोग शामिल हैं.

सड़क निर्माण कार्य धीमा हो गया

सोमवार सुबह उत्तरकाशी में हल्की से मध्यम बारिश हुई, जिससे धुंध और कम दृश्यता के कारण हेलीकॉप्टर सेवा रोकनी पड़ी. खराब मौसम के चलते सड़क मरम्मत का काम भी धीमा हो गया है. हालांकि, लिमचागाड़ में एक बेली ब्रिज का निर्माण पूरा कर लिया गया है, जिससे एक अहम रास्ता फिर से खुल गया है. इसके अलावा, डबरानी और सोनागाड़ के बीच टूटे हिस्से पर भारी मशीनें तैनात कर दी गई हैं. लेकिन राहत कार्यों में खतरा लगातार बना हुआ है. एक अभियान के दौरान, जब बाढ़ से टूटी सड़क की मरम्मत के लिए चट्टानें तोड़ी जा रही थीं, एक पोकलैंड मशीन उफनती भागीरथी नदी में फिसल गई. मशीन का चालक तेज पानी में बह गया और अभी तक लापता है.

दलदल जैसी स्थिति बन रही है

खतरा केवल ऊपर से ही नहीं, बल्कि सतह के नीचे भी मौजूद है. अधिकारियों का कहना है कि खीरगाड़ से निकलने वाली एक धारा अभी भी बह रही हो सकती है, लेकिन वह लगभग 50 फीट गहरे मलबे में दब गई है। आशंका है कि यह पानी जमीन को अंदर से कमजोर कर रहा है और दलदल जैसी स्थिति बना रहा है, जिससे खुदाई बेहद जोखिम भरी हो गई है. एसडीआरएफ के महानिरीक्षक और नोडल अधिकारी अरुण मोहन जोशी ने कहा, 'धारा का मुहाना मलबे से पूरी तरह बंद हो गया है, लेकिन पानी नीचे से बह रहा होगा. इससे मिट्टी अस्थिर हो रही है और वहां खुदाई करने पर बड़े हादसे का खतरा है. यह पूरी स्थिति अब भी नाजुक है, और आने वाले दिनों में बारिश अगर तेज हुई, तो बचाव कार्यों की चुनौती और भी बढ़ सकती है।

उत्तराखंड न्‍यूज
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