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चीनी, चिंकी, मोमो इन शब्दों से चिढ़ाया, फिर कड़े से किया वार; Angel Chakma Murder Case में पुलिस ने बताई पूरी कहानी

देहरादून के सेलाकुई इलाके में छात्र एंजेल चकमा की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. सोशल मीडिया पर इस मामले को नस्लीय हिंसा से जोड़कर देखा जा रहा है, वहीं पुलिस जांच में जो कहानी सामने आई है, वह कई परतों में सच्चाई को उजागर करती है. पुलिस के मुताबिक, यह मामला सिर्फ एक मामूली कहासुनी से शुरू हुआ विवाद था, जो देखते ही देखते हिंसक झड़प में बदल गया.

चीनी, चिंकी, मोमो इन शब्दों से चिढ़ाया, फिर कड़े से किया वार;  Angel Chakma Murder Case में पुलिस ने बताई पूरी कहानी
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( Image Source:  x-@mohitlaws )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 30 Dec 2025 6:20 PM IST

देहरादून के सेलाकुई इलाके में शुरू हुई एक मामूली कहासुनी देखते-देखते एक युवा की जान ले गई. त्रिपुरा के रहने वाले एंजेल चकमा की मौत ने न सिर्फ उनके परिवार और दोस्तों को तोड़ दिया, बल्कि इस मामले को लेकर देशभर में सवाल भी खड़े कर दिए.

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सोशल मीडिया पर इसे नस्लीय हिंसा से जोड़कर देखा गया, तो वहीं अब इस मामले में पुलिस ने पूरी कहानी बताई है. जहां पुलिस ने बताया कि एंजेल को कई नामों से चिढ़ाया गया और फिर उस पर कड़े से वार किया गया.

कड़े से किया एंजेल पर वार

9 दिसंबर 2025 की रात सेलाकुई इलाके में जन्मदिन की पार्टी चल रही थी. इसी जगह पर एंजेल और उनका भाई पहले से ही मौजूद था. आपस में ही ग्रुप मस्की-मजाक कर रहा था और एक-दूसरे पर ताने मार रहे थे. जहां एंजेल को यह बातें अच्छी नहीं लगी और फिर बहस हाथापाई में बदल गई और इसी गरमा-गर्मी में एक आरोपी ने कड़े से वार कर दिया. इसके कारण एंजेल को गंभीर चोट आई.

फरार आरोपी ने पीठ पर घोंपा चाकू

इस झड़प में फरार आरोपी ने अंडे के ठेले से चाकू लिया और फिर एंजेल चकमा की पीठ पर घोंप दिया. इसके बाद उनके भाई ने ई-रिक्शा कर उन्हें अस्पताल पहुंचाया. जहां इलाज के दौरान 26 दिसंबर 2025 को एंजेल ने दम तोड़ दिया.

आरोपियों का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं

पुलिस ने बताया कि इस मामले में उन्होंने आरोपियों के रिकॉर्ड भी चेक किए, ताकि पता चल सके कि क्या वह पहले भी अपराध में शामिल रह चुके हैं या नहीं? लेकिन पता चला कि उनका कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है.

नस्लीय हिंसा नहीं थी

सोशल मीडिया पर इस घटना को नस्लीय हिंसा से जोड़कर देखा गया, लेकिन पुलिस का कहना है कि अब तक की जांच में नस्लीय टिप्पणी या भेदभाव का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है.न तो एफआईआर में ऐसा कोई आरोप है और न ही 9 से 26 दिसंबर के बीच किसी ने पुलिस या मीडिया को नस्लीय दुर्व्यवहार की शिकायत दी.

एंजेल के दोस्त ने क्या बताया?

एंजेल के रूममेट राहुल आज भी सदमे में हैं.उनका कहना है कि एंजेल बेहद शांत और मिलनसार था, कभी किसी से झगड़ा नहीं करता था.वह हाल ही में नौकरी लगने से बहुत खुश था. अस्पताल में आखिरी वक्त तक दोस्त उसके साथ रहे, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका.

मेघालय की कांग्रेस नेता ने पूछा सवाल

इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया. मेघालय की कांग्रेस नेता ज़रिता लैतफ्लांग ने एंजेल की मौत पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या देश के नागरिकों को यह साबित करने के लिए कोई प्रमाण पत्र साथ रखना होगा कि वे भारतीय हैं? उन्होंने पूर्वोत्तर के मुख्यमंत्रियों और राहुल गांधी से इस मुद्दे पर ध्यान देने की अपील की.

उत्तराखंड न्‍यूज
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