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Chardham Yatra 2025: हेलीकॉप्टर सेवा में भोले-भाले श्रद्धालुओं को नहीं ठग पाएंगे जालसाज, प्रशासन ने बनाया ये प्लान

केदारनाथ धाम को चारों धामों में सबसे कठिन यात्रा माना जाता है. केदारनाथ धाम तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को करीब 20 किलोमीटर की कठिन पहाड़ी चढ़नी पड़ती है. श्रद्धालु यह यात्रा पैदल, घोड़ा खच्चर, डंडी-कंडी और हवाई सेवा से करते हैं.

Chardham Yatra 2025: हेलीकॉप्टर सेवा में भोले-भाले श्रद्धालुओं को नहीं ठग पाएंगे जालसाज, प्रशासन ने बनाया ये प्लान
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रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 16 March 2025 3:20 PM IST

गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड चारधाम यात्रा 30 अप्रैल 2025 से शुरू हो जाएगी. गंगोत्री-यमुनोत्री के बाद 2 मई को केदारनाथ और 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे. चारधाम यात्रा के दौरान वैसे तो सरकार, प्रशासन और पुलिस के सामने कई चुनौतियां हैं, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती केदारनाथ हेली सेवा के नाम पर होने वाली ठगी से आम श्रद्धालुओं को बचाना है, जिसके लिए पुलिस ने भी योजना तैयार कर ली है.

दरअसल, हर साल चार धाम यात्रा के लिए बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं. इस दौरान सबसे ज्यादा भीड़ केदारनाथ हेलीकॉप्टर टिकट के लिए होती है, जिसका फायदा ज्यादातर जालसाज उठाते हैं. जालसाज ऑनलाइन व अन्य माध्यमों से भोले-भाले श्रद्धालुओं को अपने जाल में फंसाते हैं और उन्हें केदारनाथ हेलीकॉप्टर सेवा के टिकट कालेधन में बेचने का लालच देकर उनसे भारी मात्रा में धन ठग लेते हैं.

20 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई

बता दें कि केदारनाथ धाम को चारों धामों में सबसे कठिन यात्रा माना जाता है. केदारनाथ धाम तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को करीब 20 किलोमीटर की कठिन पहाड़ी चढ़नी पड़ती है. श्रद्धालु यह यात्रा पैदल, घोड़ा खच्चर, डंडी-कंडी और हवाई सेवा से करते हैं, जिसमें हवाई सेवा सबसे आसान और सुविधाजनक मानी जाती है, लेकिन टिकटों की सीमित संख्या के कारण हर कोई हेली सेवा का लाभ नहीं उठा पाता है. इसी का फायदा जालसाज उठाते हैं.

ऐसे बेवक़ूफ़ बनाते हैं जालसाज

साइबर जालसाजों का सबसे आसान तरीका केदारनाथ हेली सेवा के नाम पर फर्जी वेबसाइट बनाना है. जब भी श्रद्धालु केदारनाथ हेली सेवा के नाम पर नेट पर सर्च करते हैं तो वहां कुछ फर्जी वेबसाइट दिखाई देती हैं, जिनके बारे में श्रद्धालुओं को ज्यादा जानकारी नहीं होती. श्रद्धालु वहां से टिकट बुक तो कर लेते हैं, लेकिन बाद में जब वे टिकट लेकर हेलीकॉप्टर सेवा देने वाली कंपनी के पास पहुंचते हैं तो उन्हें पता चलता है कि टिकट नकली है. ऐसे में फर्जी वेबसाइट से अलर्ट रहना होगा. वहीं उत्तराखंड प्रशासन उन ठगबाजों पर भी नजर रख रहे हैं जो नियमों और सिस्टम को तोड़ते हुए टिकट ब्लैक में हाई रेट में बेचते हैं.

सीएम के कड़े निर्देश

चारधाम यात्रा के दौरान हवाई सेवा के नाम पर धोखाधड़ी या ब्लैक टिकटिंग का मामला कितना गंभीर है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि खुद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. सीएम ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए स्पष्ट किया है कि विजिलेंस सीधे तौर पर हवाई सेवा में धोखाधड़ी से जुड़े मामलों पर नजर रखे, ताकि ऐसी घटनाओं की संभावना ही न रहे और दोषियों को पकड़कर उनके इरादों को नाकाम किया जा सके.

50 से ज्यादा साइट्स हुई थी ब्लॉक

उत्तराखंड साइबर पुलिस ने गृह मंत्रालय की मदद से साल 2024 में केदारनाथ मंदिर के लिए हेलीकॉप्टर सेवा की बुकिंग के बहाने लोगों को ठगने के लिए धोखाधड़ी करने वाली 12 और फर्जी वेबसाइटों को ब्लॉक कर दिया था. स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और राज्य साइबर पुलिस के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल पिछले साल साइबर पुलिस ने 64 ऐसी ही साइट्स को ब्लॉक किया था, जिससे अब तक कुल 76 साइट्स ब्लॉक हो गई हैं.

आईआरसीटीसी संभालेगा बुकिंग की जिम्मेदारियां

सरकार ने पहले गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमपीएन) की साइट से हेली टिकटों की बुकिंग की व्यवस्था की थी, लेकिन बाद में सरकार ने यह व्यवस्था समाप्त कर दी और हेली सेवा की सभी टिकटों की बुकिंग की जिम्मेदारी अब आईआरसीटीसी (भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम) को दे दी गई है.

21 साल से चल रही है हेली सेवा

2004 में केवल एक कंपनी ने केदारनाथ के लिए हवाई सेवा शुरू की थी, जो 2006 में बढ़कर चार हो गई. 2014 में यह संख्या बढ़कर नौ हो गई, जो अब तक बनी हुई है. पवन हंस, ग्लोबल विक्टरा, हिमालयन हेली, कैस्ट्रॉल एविएशन, थम्बी एविएशन, एयरो एयरक्राफ्ट और ट्रांस भारत कंपनी वर्तमान में अपनी हेली सेवा श्रद्धालुओं को दे रहे हैं. केदारनाथ के लिए हवाई सेवा गुप्तकाशी, फाटा और सिरसी से उपलब्ध कराई जाती है. हेलीकाप्टर सेवा का शुल्क यात्रा की तारीख, मौसम, और अन्य फैक्टर के आधार पर अलग-अलग हो सकता है. अनुमानित शुल्क 7,000 से 10,000 प्रति यात्री हो सकता है.

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