गाजियाबाद उपचुनाव में वोटर्स ने किया निराश? 17 साल में सबसे कम मतदान, 2002 में तो और बुरे थे आंकड़े
Uttar Pradesh By-Polls: उत्तर प्रदेश उपचुनाव में गाजियाबाद में सबसे कम 33.3% मतदान हुआ, जो 2007 के बाद से सबसे खराब मतदान है. ये बेहद चौंकाने वाला रहा. समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सिंहराज जाटव ने मतदान में रुचि की कमी और प्रशासनिक चूक को कम मतदान का कारण बताया.

Uttar Pradesh By-Polls: बुधवार को हुए उपचुनावों में गाजियाबाद के मतदाता काफी हद तक उदासीन नजर आए. बुधवार को राज्य भर में 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, जिनमें से गाजियाबाद में सबसे कम मतदान हुआ, जहां मात्र 33.3% लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. यह उत्तर प्रदेश की सभी 9 विधानसभा सीटों में सबसे कम है.
आंकड़ों के मुताबिक, गाजियाबाद में 2007 के बाद सबसे खराब मतदाता की भागीदारी देखी गई, जब मतदान 33.03% पर ही थम गया. 9 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में औसत 49.3% वोट डाले गए थे. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल की शुरुआत में लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद सांसद अतुल गर्ग की अपनी विधानसभा सीट गाजियाबाद खाली करने के बाद उपचुनाव की आवश्यकता थी.
506 बूथों पर मतदान रही धीमी
गाजियाबाद के 119 मतदान केंद्रों और 506 बूथों पर मतदान धीमी गति से शुरू हुआ, पहले घंटे में केवल 5.4% मतदान हुआ. सुबह 11 बजे तक यह बढ़कर 12.9% हो गया, दोपहर 1 बजे तक 20.9% और दोपहर 3 बजे तक 27.4% हो गया, अंत में 33.3% पर आ गया. यह 2012, 2017 और 2022 के पिछले विधानसभा चुनावों की तुलना में काफी गिरावट है, जहां मतदान लगातार 50% को पार करता रहा है.
समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सिंहराज जाटव ने मतदान में रुचि की कमी और प्रशासनिक चूक को कम मतदान का कारण बताया. वहीं राजनीतिक विश्लेषक संजय मिश्रा ने मतदान के दिन बंद रहने के नियमों के पालन में ढिलाई बरतने को भी एक कारण बताया.
पहले के चुनाव में भी लोगों रहा है निराशा
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, गाजियाबाद में मतदाताओं की भागीदारी ऐतिहासिक रूप से कम रही है, 2002 में यह आंकड़ा 30.5% और 1996 में 37.3% था. लोकसभा चुनावों के दौरान मतदान पारंपरिक रूप से अधिक होता रहा है. इस साल की शुरुआत में आम चुनाव में 47.9% मतदाताओं ने भाग लिया, जबकि 2019 में यह 53.2% और 2014 में 53.8% था.