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उत्तर प्रदेश में शाही जामा मस्जिद पर हिंसा अचानक या प्री प्लांड? जांच टीम के सामने सवाल

UP Mosque Violence: संभल में शाही जामा मस्जिद के कोर्ट के आदेश पर हुए सर्वेक्षण के दौरान हुई झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए.

उत्तर प्रदेश में शाही जामा मस्जिद पर हिंसा अचानक या प्री प्लांड? जांच टीम के सामने सवाल
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UP Mosque Violence
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Published on: 1 Dec 2024 1:04 PM

UP Mosque Violence: मुगलों के काल में बनाई गई मस्जिद के सर्वेक्षण से जुड़ी हिंसा के बाद संभल में माहौल कई दिनों से गर्म है. इस बीच तीन सदस्यीय न्यायिक पैनल ने घटना की जांच के तहत हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया. यहां 24 नवंबर की हिंसा को हिंसा भड़क गई थी.

संभल हिंसा को लेकर गठित तीन सदस्यीय पैनल की अध्यक्षता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार अरोड़ा कर रहे हैं. सेवानिवृत्त IAS अधिकारी अमित मोहन प्रसाद और सेवानिवृत्त IPS अधिकारी अरविंद कुमार जैन पैनल के अन्य सदस्य हैं. पैनल दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा.

आयोग अपनी जांच के तहत चार सवालों का जवाब ढूंढेगा-

  1. क्या हिंसा अचानक से हुई थी या किसी आपराधिक साजिश का नतीजा थी? पुलिस प्रशासन द्वारा क्या इंतजाम किए गए थे?
  2. हिंसा के लिए कौन से हालात जिम्मेदार थे?
  3. ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या तैयारियां की जानी चाहिए?

जांच टीम झड़प शुरू होने के बाद स्थिति को नियंत्रित करने में शामिल पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के बयान दर्ज कर सकते हैं. ये हिंसा कोर्ट के उस आदेश के बाद हुई थी, जिसमें शाही जामा मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया गया था.

हिंसा में 4 की मौत

हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. दरअसल, कुछ याचिकाओं में दावा किया गया है कि यह एक हिंदू मंदिर के स्थल पर बनाई गई है. स्थानीय निवासियों ने सर्वेक्षण का विरोध किया और स्थिति पूरी तरह से हिंसा में बदल गई.

संभल पुलिस ने अपनी एफआईआर में स्थानीय समाजवादी पार्टी के सांसद जिया उर रहमान, विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल और करीब 700-800 अज्ञात लोगों के नाम दर्ज किए हैं. सांसद जिया उर रहमान ने हिंसा के लिए स्थानीय पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है..

उन्होंने कहा, 'उनके (पुलिस कर्मियों) खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए और कार्रवाई की जानी चाहिए क्योंकि उन्होंने सरकारी हथियारों से नहीं बल्कि निजी हथियारों से गोली चलाई. मुसलमानों को एक साजिश के तहत निशाना बनाया गया और उनकी हत्या की गई.'

हिंसा पर सियासत

उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने से रोके जाने के बाद संभल हिंसा को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है. पार्टी प्रमुख और सांसद अखिलेश यादव ने कल राज्य सरकार और प्रशासन पर हिंसा की साजिश रचने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, 'समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल संभल जा रहा था. हम सभी शांति और न्याय का समर्थन करते हैं। प्रशासन के बयान सरकार के इशारे पर दिए जाते हैं.'

अखिलेश यादव ने आरोप लगाया, टजब पहले दिन सर्वेक्षण हुआ था तो सभी ने सहयोग किया था. प्रशासन ने दूसरा सर्वेक्षण क्यों किया? और सर्वेक्षण टीम के साथ भाजपा कार्यकर्ता क्यों थे? सरकार और प्रशासन इस अन्याय में शामिल हैं. भाजपा शांति नहीं चाहती है.'

बता दें कि संभागीय आयुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने कहा है कि स्थिति स्थिर होने तक किसी को भी संभल जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. हालांकि, इसे सुनने को तैयार नहीं था और हिंसा की जगह पर जाने की जिद्द में था.

यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि संभल में हुई झड़पें स्थानीय समाजवादी सांसद और विधायक के बीच सत्ता संघर्ष का नतीजा थीं. सपा ने संभल को सांप्रदायिक अशांति में धकेलने की कोशिश की. अखिलेश यादव की ओर से भेजा जा रहा प्रतिनिधिमंडल मुसलमानों के प्रति कोई सच्ची सहानुभूति नहीं दर्शाता है. यह खोया हुआ वोट बैंक वापस पाने का एक असफल प्रयास है.'

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