ऑपरेशन के बाद खुली आंखों की पट्टी तो, बगल के बेड में मिली लापता पत्नी; याददाश्त लौटाने की भावुक कहानी
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एक व्यक्ति ने अस्पताल में आंखें खोलीं तो हैरान रह गया, क्योंकि उसके बगल वाले बेड पर उसकी 22 दिनों से लापता पत्नी भर्ती थी. यह देखकर पति की आंखों में आंसू आ गए, लेकिन दुख की बात यह थी कि पत्नी सिर में गंभीर चोट लगने के कारण अपनी याददाश्त खो चुकी थी.

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एक व्यक्ति ने अस्पताल में आंखें खोलीं तो हैरान रह गया, क्योंकि उसके बगल वाले बेड पर उसकी 22 दिनों से लापता पत्नी भर्ती थी. यह देखकर पति की आंखों में आंसू आ गए, लेकिन दुख की बात यह थी कि पत्नी सिर में गंभीर चोट लगने के कारण अपनी याददाश्त खो चुकी थी और उसे पहचान नहीं पा रही थी. अब पति लगातार अस्पताल में उसकी सेवा कर रहा है, जिससे धीरे-धीरे महिला की याददाश्त लौटने लगी है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, 50 वर्षीय राकेश कुमार की ज़िंदगी ने तब अजीब मोड़ लिया, जब मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद उनकी आंखें खुलीं और उन्हें पास के बिस्तर से पानी मांगने की जानी-पहचानी आवाज़ सुनाई दी. जब उन्होंने ध्यान से देखा, तो वह उनकी लापता पत्नी शांति देवी थीं. पहले तो उन्हें खुशी हुई, लेकिन जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि सिर में चोट की वजह से शांति उन्हें पहचान नहीं पा रहीं थीं.
पत्नी की तलाश में भटकते रहे
राकेश कुमार, जो पेशे से वेल्डर हैं, की पत्नी 13 जनवरी को अचानक घर से लापता हो गई थीं. उन्हें ढूंढने के लिए राकेश कानपुर, लखनऊ, और कन्नौज तक गए, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला. 16 जनवरी को उन्होंने गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई. पत्नी की कमी के कारण उन्होंने घर छोड़कर दोस्तों के साथ रहने का फैसला किया.
मोतियाबिंद का पता और सर्जरी
राकेश के दोस्त राजोल शुक्ला, जो उन्नाव जिला अस्पताल में काम करते हैं, ने उनकी बिगड़ती हालत देखकर उन्हें आंखों की जांच कराने की सलाह दी. डॉक्टरों ने मोतियाबिंद का पता लगाकर सर्जरी की सलाह दी.
भावुक मुलाकात और देखभाल
सर्जरी के बाद, जब पट्टियां हटाई गईं, तो राकेश ने अपनी पत्नी को पास के बिस्तर पर देखा और भावुक हो गए. हालांकि शांति उन्हें पहचान नहीं पा रहीं थीं, लेकिन राकेश की देखभाल और प्यार से धीरे-धीरे उनकी याददाश्त लौटने लगी. डॉ. कौशलेंद्र प्रताप ने बताया कि सिर में चोट के कारण शांति बोलने और समझने में असमर्थ थीं. लेकिन इलाज और राकेश के सहयोग से उनकी हालत में सुधार हो रहा है और वह अब खुद को पहचानने लगी हैं.