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एक बार फिर गूगल मैप बना धोखेबाज! शॉर्टकट के चक्कर में नहर में गिरी कार

एक बार फिर गूगल मैप ने लोगों को धोखा दिया, गलत रास्ता दिखाया. सोमवार रात करीब 3 बजे औरैया निवासी दिव्यांशु अपने दो दोस्तों के साथ पीलीभीत जा रहे थे. कोहरे के कारण दृश्यता बेहद कम थी, और सही रास्ता ढूंढने के लिए उन्होंने गूगल मैप का सहारा लिया. फिर जो हुआ वो भयानक था.

एक बार फिर गूगल मैप बना धोखेबाज! शॉर्टकट के चक्कर में नहर में गिरी कार
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( Image Source:  social media )

गूगल मैप की मदद से सफर करना आजकल आम बात हो गई है. लेकिन कभी-कभी यह तकनीक मुश्किलें भी खड़ी कर देती है. बरेली में सोमवार रात ऐसा ही एक मामला सामने आया, जहां गूगल मैप के दिखाए शॉर्टकट के वजह से कोहरे में सफर कर रहे तीन युवकों की कार नहर में गिर गई. गनीमत रही कि इस हादसे में किसी को चोट नहीं आई. सोमवार रात करीब 3 बजे औरैया निवासी दिव्यांशु अपने दो दोस्तों के साथ पीलीभीत जा रहे थे. कोहरे के कारण दृश्यता बेहद कम थी, और सही रास्ता ढूंढने के लिए उन्होंने गूगल मैप का सहारा लिया.

इज्जतनगर इलाके में कलापुर पुलिया के पास गूगल ने शॉर्टकट दिखाया, और वे उस रास्ते पर चल पड़े. कुछ दूरी पर, ग्राम बरकापुर तिराहे के पास सड़क की कटान थी, जो कोहरे में नजर नहीं आई. कार बेकाबू होकर नहर में पलट गई. राहत की बात यह रही कि नहर सूखी थी और कार की रफ्तार भी धीमी थी, जिससे किसी को चोट नहीं आई.

पुलिस की तत्परता ने बचाई स्थिति

युवकों ने खुद कार निकालने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे. अंत में उन्होंने यूपी 112 पर फोन किया. पुलिस तुरंत क्रेन लेकर मौके पर पहुंची और कार को बाहर निकाला.

इससे पहले भी हुआ था बड़ा हादसा

24 नवंबर को फरीदपुर के खल्लपुर इलाके में तीन युवकों की जान एक अधूरे पुल पर गूगल मैप के कारण चली गई थी. ये युवक शादी में शामिल होने जा रहे थे. गूगल मैप ने उन्हें निर्माणाधीन पुल की ओर मोड़ा, और कार सीधे नीचे गिर गई. इस हादसे के बाद पुलिस ने गूगल को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था.

इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या गूगल मैप जैसे नेविगेशन पर आंख मूंदकर भरोसा करना सही है? कोहरे और अपरिचित रास्तों में सावधानी रखना जरूरी है. तकनीक मददगार हो सकती है, लेकिन उसकी सीमाओं को समझना भी उतना ही जरूरी है.

गूगल की जिम्मेदारी पर सवाल

पुलिस ने गूगल से उस क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक का नाम और पता शेयर करने की मांग की है. यह कदम तकनीकी खामियों से जुड़े मामलों में जवाबदेही तय करने के लिए अहम हो सकता है.

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