कार्निवल में अश्लीलता! फर्रुखाबाद में बार-बालाओं पर पैसे लुटाने का Video हुआ Viral
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से एक वीडियो वायरल हुआ है. जिसमें तीन लड़कियां आर्केस्ट्रा पर डांस करती नजर आ रही है और दर्शकों में से बैठा एक शख्स उनके करीब आकर पैसा लूटा रहा है. यह अश्लील डांस कहीं और नहीं बल्कि कायमगंज के एसएनएम इंटर कॉलेज में लगे दुबई कार्निवल का है.

एक समय था जब आर्केस्ट्रा कल्चर को संगीत और कला के माध्यम से शुद्ध मनोरंजन का जरिया माना जाता था. मंच पर गूंजते सुर और लोक नृत्य दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते थे. लेकिन बदलते वक्त के साथ इस संस्कृति की गरिमा पर जैसे ग्रहण लग गया है. अब आर्केस्ट्रा में कला की जगह अश्लीलता और सस्ते मनोरंजन ने ले ली है.
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के कायमगंज क्षेत्र से सामने आया एक हालिया वीडियो इसी गिरते स्तर की दुखद तस्वीर पेश करता है. वीडियो में तीन युवतियां मंच पर आर्केस्ट्रा डांस कर रही हैं, और दर्शकों में से एक व्यक्ति उनके पास आकर खुलेआम पैसे लुटा रहा है. यह नज़ारा किसी निजी शादी या पार्टी का नहीं, बल्कि एक शैक्षणिक संस्थान एसएनएम इंटर कॉलेज में आयोजित 'दुबई कार्निवल' का है, जो एक पारिवारिक मेले के रूप में आयोजित किया गया था.
इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश लगाए
इस कार्निवल को सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, आर्ट-क्राफ्ट, और पारंपरिक मनोरंजन के लिए जाना जाता है, जहां परिवारों के साथ छोटे बच्चे भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं. ऐसे मंच पर इस तरह का डांस परोसा जाना बेहद शर्मनाक और आपत्तिजनक माना जा रहा है. वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा साफ देखा जा सकता है. कई लोगों ने सवाल उठाए हैं कि क्या अब पारिवारिक मेलों में भी शालीनता की कोई जगह नहीं बची है? क्या आयोजकों की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश लगाएं?.
मंचो पर अश्लीलता
समाज में सांस्कृतिक आयोजनों का उद्देश्य लोगों को जोड़ना, स्थानीय कला और प्रतिभा को मंच देना होता है. लेकिन जब ऐसे मंचों पर अश्लीलता परोसी जाती है तो न केवल आयोजकों की मंशा पर सवाल खड़े होते हैं, बल्कि बच्चों और परिवारों के सामने गलत उदाहरण भी प्रस्तुत होता है. फिलहाल, इस मामले को लेकर स्थानीय प्रशासन या स्कूल प्रबंधन की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. लेकिन जनता की ओर से इस तरह की घटनाओं पर सख्त कार्यवाही और जवाबदेही की मांग की जा रही है. यह घटना एक चेतावनी है कि अगर समय रहते समाज और व्यवस्था ने ध्यान नहीं दिया, तो हमारी सांस्कृतिक पहचान और सार्वजनिक आयोजनों की गरिमा गुम होती जाएगी.