नर्क बना नोएडा का वृद्धाश्रम, हाथ बंधे और मल से सने कपड़े, 39 बुज़ुर्गों को पुलिस ने बचाया
वृद्धाश्रम में बुजुर्गों की देखभाल की जाती है, लेकिन क्या हो जब पैसे लेने के बावजूद भी उनके साथ खिलवाड़ किया जाए? ऐसा ही एक मामला नोएडा से सामने आया है, जहां एक वृद्धाश्रम में बुजुर्गों के साथ जानवरों से भी बदत्तर सलूक किया. जहां बुजुर्गों को कमरों में बांधकर रखा गया. इतना ही नहीं, कुछ के पास तो कपड़े भी नहीं थे.

नोएडा के सेक्टर 55 में स्थित आनंद निकेतन वृद्धाश्रम, जो कभी बुज़ुर्गों की अंतिम उम्र में सहारा देने का वादा करता था, अब एक भयावह सच्चाई बन चुका है. हाल ही में सामने आए एक वीडियो ने उस अंधेरे की परतें हटाईं, जिसमें ये बुज़ुर्ग सालों से चुपचाप, अनसुने, और बेसहारा सिसक रहे थे.
लखनऊ के समाज कल्याण विभाग को एक वीडियो भेजा गया, जिसे देख हर कोई चौंक गया. बुजुर्गों की इतनी बुरी हालत कि हर किसी का दिल रो पड़े. वीडियो में एक बुज़ुर्ग महिला को कमरे में रखा गया था, जिसके हाथ बांधे हुए थे. न कोई देखभाल, न कोई मानवीयता. यह वीडियो इतना झकझोर देने वाला था कि राज्य महिला आयोग और नोएडा पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और गुरुवार को वृद्धाश्रम पर छापा मारा.
तहखानों में बंद 39 बुज़ुर्गों की ज़िंदगियां
जब अधिकारी वहां पहुंचे तो जो देखा, वो किसी कहानी का कड़वा अंत नहीं, बल्कि एक एक बुरा सपना था. कई बुज़ुर्ग कमरों में बंद थे, कुछ के हाथ कपड़ों से बंधे हुए थे. इतना ही नहीं, कई बुज़ुर्गों ने कपड़े नहीं पहने थे. वहीं, कुछ महिलाएं अधनग्न अवस्था में थीं. उनके शरीर पर मल और पेशाब के निशान थे. इनमें से कुछ कुछ बुज़ुर्गों को ऐसे तहखानों में बंद किया गया था, जहां रोशनी तक नहीं थी. उस दिन 39 बुज़ुर्गों को इस अमानवीय स्थिति से बाहर निकाला गया.
पैसों की लूट, इंसानियत का शोषण
इस वृद्धाश्रम ने हर बुज़ुर्ग के परिवार से 2.5 लाख रुपये बतौर ‘दान’ लिए थे. इतना ही नहीं, बुज़ुर्गों के खाने और रहने के लिए हर महीने 6,000 रुपये वसूले जा रहे थे. यह केवल एक वित्तीय शोषण नहीं था. यह इंसानियत को कुचलने वाला एक सुनियोजित अपराध था. सबसे हैरानी वाली बात इस आश्रम में बुजुर्गों की देखभाल करने के लिए कोई ट्रेन स्टाफ नहीं था. खुद को नर्स बताने वाली महिला ने कहा कि उसने अभी-अभी 12वीं पास की है. सोचिए ज़िंदगी भर दूसरों का सहारा बनने वाले ये बुज़ुर्ग, अपने आख़िरी वक्त में किसके भरोसे थे?
आश्रम पर मामला दर्ज
पुलिस ने वृद्धाश्रम के खिलाफ केस फाइल कर लिया है. सभी बुज़ुर्गों को एक-दो दिनों के भीतर सरकारी वृद्धाश्रम में भेजा जा रहा है, जहां उन्हें सही देखभाल और गरिमा मिलेगी, जिसकी उन्हें सालों से तलाश थी.
वृद्धाश्रम एक घर होता है. एक ठिकाना जहां बुज़ुर्ग अपने जीवन की आखिरी सांसें सम्मान और सुकून के साथ जी सकें. लेकिन जब ये जगहे ही जेल में तब्दील हो जाए, तो सवाल उठता है कि क्या हम सचमुच अपनों को कभी अकेला नहीं छोड़ते? या फिर ये सिर्फ़ शब्द हैं?