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लखनऊ HAL में बनेगा सुखोई 30 फाइटर जेट का इंपॉर्टेंट पार्ट, 84 विमानों को अपग्रेड करने का है प्‍लान

भारत का फाइटर विमान सुखोई HAL 30 को लखनऊ HAL द्वारा तैयार किया जाएगा. मिली जानकारी अनुसार सुखोई की नाक का जो हिस्सा है उस हिस्से को एचएएल में तैयार किया जा रहा है. वहीं इसके पहले चरण में 84 विमानों को तैयार किया जाएगा.

लखनऊ HAL में बनेगा सुखोई 30 फाइटर जेट का इंपॉर्टेंट पार्ट, 84 विमानों को अपग्रेड करने का है प्‍लान
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( Image Source:  ANI )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Published on: 8 Nov 2024 2:57 PM

भारतीय वायु सेना युद्ध में दुश्मनों के साथ कांटे की लड़ाई लड़ने के लिए अपने फाइटर जेट को अपग्रेड कर रही है. इसी कड़ी में फाइटर जेट सुखोई (सू-30) को अपग्रेड करने किया जा रहा है. खास बात इस अपग्रेडेशन के लिए UP की राजधानी लखनऊ में एरोनॉटिकल लिमिटेड (HAL) को इसकी जिम्मेदारी दी गई. वहीं पहले चरण में 84 विमानों को तैयार किया जाएगा.

दरअसल सुखोई की नाक का जो हिस्सा होगा. उसे HAL द्वारा तैयार किया जाएगा. वहीं इसके बाद DRDO की तरफ से इस पर रडार लगाया जाएगा. हालांकि इसे लेकर फिलहाल रक्षा मंत्रालयसे बातचीत जारी है. बता दें कि इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है.

ऐसा होगा इस हिस्से का आकार

HAL में तैयार होने वाले फाइटर जेट के हिस्से की अगर बात की जाए तो इसे कोन की शेप की तरह ही तैयार किया जाएगा. जिसे नोज कहा जाएगा. इसमें टाइटेनियम धातू का इस्तेमाल होगा. वहीं इसमें इस्तेमाल होने वाली तकनीकी विशेषता के लिए लखनऊ HAL को चुना गया है. इसे तैयार करने पर न केवल एचएएल की प्रतिष्ठा बढ़ेगी. रक्षा क्षेत्र में भी अहम भूमिका रहने वाली है.

भारतीय फाइटर विमान है सुखोई सू-30

सुखोई सू 30 भारतीय वायुसेना का चौथी जनरेशन का फाइटर विमान है. भारत ने इसे साल 2002 में रूस से खरीदा था. बता दें कि यह विमान 30 किमीटर की दूरी तय कर सकता है. जिसे अब अपग्रेड किया जा रहा है. वहीं इस अपग्रेडेशन के लिए रूस और भारत के बीच बात हो चुकी है. जल्द ही इस पर डीआरडीओ की ओर से विकसित उत्तम रडार लगाया जाएगा. इस अपग्रेडेशन के बाद ये फाइटर विमान 4.5 जेनरेशन का हो जाएगा. भारत के पास अभी 259 ऐसे फाइटर जेट मौजूद हैं.

बढ़ेगी फाइट जेट की ताकत

युद्ध में वायु सेना के हथियार को मजबूत करने में HAL की अहम भूमिका रहने वाली है. वहीं इस अपग्रेड के लिए 60 हजार करोड़ रुपये लिए जाएंगे. रक्षा मंत्रालय द्वारा इसे मंजूरी मिल सकती है. बता दें कि इस प्रोजेक्ट के पीछे वायुसेना की क्षमता को बढ़ाना है. इनमें नए रेडार, मिशन कंट्रोल सिस्टम, एडवांस वेपन सिस्टम को अपग्रेड किया जाएगा.

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