कालका एक्सप्रेस ने छीन ली ज़िंदगियां, चुनार स्टेशन पर ट्रैक पार करते समय कटकर 7-8 श्रद्धालुओं की मौत | Video
उत्सव और आस्था के माहौल को मौत ने निगल लिया, जब यूपी के मिर्जापुर में चुनार रेलवे स्टेशन पर कालका एक्सप्रेस की चपेट में आकर कई श्रद्धालुओं की जान चली गई. कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए निकले लोग पैसेंजर ट्रेन से उतरकर ट्रैक पार कर रहे थे, तभी बिना स्टॉपेज वाली कालका एक्सप्रेस ने उन्हें रौंद दिया. शव बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गए, स्टेशन पर हड़कंप मच गया. रेलवे प्रशासन सवालों के घेरे में है. सुरक्षा इंतज़ाम आखिर कहां थे?
मिर्जापुर का चुनार रेलवे स्टेशन बुधवार की सुबह एक दर्दनाक हादसे का गवाह बन गया, जब कालका एक्सप्रेस के सामने अचानक आए श्रद्धालु पटरियों पर ही मौत का शिकार हो गए. कार्तिक पूर्णिमा का पुण्य स्नान करने निकले लोग कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि मंदिर जाने से पहले ही उन पर मौत का पहिया इस कदर टूट पड़ेगा.
जो लोग कुछ ही मिनट पहले तक भक्ति और आस्था से भरे हुए थे, वही अगले पल स्टेशन की पटरियों पर बिखरे पड़े थे. चीखें, अफरा-तफरी और मौके पर दौड़ता हुआ प्रशासन. पूरा माहौल स्तब्ध कर देने वाला हो गया. कई शव पहचान के लायक भी नहीं बचे. यह हादसा सिर्फ एक चूक नहीं, रेलवे सिस्टम की लापरवाही और जमीनी हकीकत की कड़वी तस्वीर है.
कैसे हुआ हादसा?
चोपन-पैसेंजर ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर पहुंची तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु उतरे और बिना फुटओवर ब्रिज के सीधे ट्रैक से प्लेटफॉर्म 3 की ओर बढ़ने लगे. उसी समय कालका एक्सप्रेस तेज रफ्तार से आई, जिसका यहां कोई स्टॉपेज नहीं था. लोग संभलते इससे पहले ही ट्रेन उनके ऊपर से गुजर गई.
नहीं रुकी कालका एक्सप्रेस
ट्रेन को रुकना नहीं था, इसलिए स्पीड कम भी नहीं हुई. श्रद्धालु भागने की कोशिश करते रहे, लेकिन पटरियों से हटने के लिए वे जितने सेकंड चाहते थे, उतने थे ही नहीं. चश्मदीदों के मुताबिक, “सब कुछ 5 सेकंड में खत्म हो गया… कोई चिल्ला पाया, कोई भाग भी नहीं पाया.”
कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए जा रहे थे श्रद्धालु
मरने वालों में अधिकतर लोग वाराणसी और आसपास के जिलों से आए श्रद्धालु थे, जो गंगा स्नान के लिए चुनार घाट जा रहे थे. धार्मिक यात्रा की शुरुआत ही मौत की मंज़िल में बदल गई. कई परिवार एक साथ खत्म हो गए. कई लोग अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं.
शवों के टुकड़े समेटने में जुटी पुलिस
रेलवे प्रशासन और पुलिस ने तुरंत राहत कार्य शुरू किए, लेकिन शवों की हालत ऐसी थी कि पहचान तक मुश्किल हो रही है. मौके पर मौजूद अफसरों ने अब तक ऑफिशियल मौत का आंकड़ा जारी नहीं किया, लेकिन स्थानीय सूत्र 7–8 मौतें और कई गंभीर घायलों की पुष्टि कर रहे हैं.
फुटओवर ब्रिज क्यों नहीं?
लोगों के ट्रैक पार करने की मजबूरी और रेलवे की सुरक्षा सिस्टम दोनों इस हादसे के अपराधी हैं. रोज़ाना हजारों यात्री इसी तरह ट्रैक पार करते हैं, लेकिन अलर्ट, बैरिकेडिंग, एनाउंसमेंट कुछ भी मौजूद नहीं था. हादसे के बाद फिर से वही पुराना सवाल ज़िंदा हो गया: रेल हादसे रोकने की बात सिर्फ फाइलों में होती है या जमीन पर भी?





