फिर लौट आया 'अमृत स्नान', मुगल काल में बन गया था 'शाही स्नान', क्या है इसका इतिहास?
Maha kumbh 2025: महाकुंभ मेला 2025 की शुरुआत संगम में पवित्र डुबकी लगाने वाले 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति के साथ हुई. पहले 'अमृत स्नान' में भी 2 करोड़ से अधिक लोग शामिल हो चुके हैं.

Maha kumbh 2025: आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ती का रास्ता माने जाने वाला महाकुंभ 2025 के पहले 'अमृत स्नान' (शाही स्नान) में कई अखाड़ो के संतों ने डुबकी लगाई, लेकिन इस बार इसके नाम को लेकर चर्चा तेज रही, जहां सालों से संतों के स्नान को शाही स्नान बुलाया जाने वाला ट्रेंड बदलते देखा गया. अब लोग इसे 'अमृत स्नान' कहते देखे गए.
'अमृत स्नान' या 'राजसी स्नान' और शाही स्नान पर लोगों के कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए State Mirror ने सीधे बिहार के बांका के मंदार पर्वत के पास स्थित श्यामाचरण संस्कृत विधापिठ के आचार्य केशव कुमार तिवारी से बात की. उन्होंने हमें बताया कि जिसे पहले 'अमृत स्नान' और 'राजसी स्नान' के नाम से जाना जाता था, कैसे वह बीच में 'शाही स्नान' बन गया था?
समुद्र मंथन से जुड़ी है महाकुंभ की कहानी
आपको बता दें कि मान्यता है कि बांका का मंदार पर्वत वही पर्वत है, जिसे लेकर समुद्र मंथन किया गया था और महाकुंभ की शुरूआत भी वहीं से हुई थी. आचार्य केशव बताते हैं कि समुद्र मंथन के दौरान 'अमृत कलश' निकला था, जो देश के 4 स्थानों पर रखा गया था. ये चार स्थान प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नाशिक हैं.
12 साल में एक बार क्यों मनाया जाता है महाकुंभ?
महाकुंभ 12 साल में एक ही बार क्यों होता है? इसे लेकर आचार्य केशव ने कहा कि इस 'अमृत कलश' को लेकर देवताओं और दानव के बीच 12 सालों तक युद्ध चला. चूंकि देवताओं का 1 दिन मनुष्य के 12 साल के बराबर होता है, इसलिए 12 साल में एक बार महाकुंभ का आयोजन किया जाता है, जिस स्थान पर 'अमृत कलश' रखा गया था. इस दिन से ही संत वहां 'अमृत स्नान' करते हैं, जिसे 'राजसी स्नान' भी कहा जाता है.
'शाही स्नान' में कैसे बदला 'अमृत स्नान' या 'राजसी स्नान'?
जब हमने पूछा कि 'शाही स्नान' की क्या कहानी है तो आचार्य केशव ने कहा कि इसे लेकर किसी भी पुराण या फिर ग्रंथ में कोई जिक्र नहीं है. ये मुगल काल में भारत की संस्कृति को धूमिल करने के लिए किया गया. चूंकि उर्दू का शब्द 'शाही' का सही अर्थ राजसी, कुलीन और प्रतापी होता है. इसलिए उस वक्त इस 'अमृत स्नान' और 'राजसी स्नान' को 'शाही स्नान' कहा जाने लगा. आचार्य आगे कहते हैं कि हमारे संस्कृति, पुराणों और ग्रंथों में सिर्फ 'अमृत स्नान' और 'राजसी स्नान' का जिक्र है.
'अमृत स्नान' पर सीएम योगी का संदेश
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने भी 'शाही स्नान' की जगह 'अमृत स्नान' का जिक्र किया. उन्होंने लिखा, 'यह हमारी सनातन संस्कृति और आस्था का जीवंत स्वरूप है. आज लोक आस्था के महापर्व 'मकर संक्रांति' के पावन अवसर पर महाकुम्भ 2025 प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में प्रथम 'अमृत स्नान' कर पुण्य अर्जित करने वाले सभी श्रद्धालु जनों का अभिनंदन.'