ज्ञानवापी मस्जिद नहीं भगवान शिव का है मंदिर, योगी आदित्यनाथ के बयान पर बवंडर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदी दिवस के मौके पर ज्ञानवापी को मुस्लिम पूजा स्थल बताए जाने पर आपत्ति जताई है. सीएम योगी शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में 'समरस समाज के निर्माण में नाथपंथ का योगदान' विषय पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को वाराणसी के ज्ञानवापी को मुस्लिम पूजा स्थल बताए जाने पर आपत्ति जताई और कहा कि यह भगवन शिव को समर्पित है. सीएम योगी शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में 'समरस समाज के निर्माण में नाथपंथ का योगदान' विषय पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा, 'दुर्भाग्य से, लोग ज्ञानवापी को मस्जिद कहते हैं, लेकिन वास्तव में यह स्वयं विश्वनाथ हैं. योगी आदित्यनाथ ने तर्क दिया कि भक्त इसकी वास्तविक पहचान या नाम को लेकर अनिश्चितता को सबसे बड़ी बाधा के रूप में देखते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा, 'अगर हमारे समाज ने पहले कभी इस बाधा को समझा और पहचाना होता, तो हमारा देश कभी उपनिवेश नहीं होता.'
भाजपा के पास कुछ नहीं बचा
वहीं योगी के इस बयान पर विपक्ष पार्टी ने हमला बोला है. कांग्रेस के नेता दानिश अली ने कहा, 'भाजपा के पास और योगी आदित्यनाथ के पास जनता को बताने के लिए कुछ रहा नहीं है.' उन्होंने आगे कहा, '2024 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदर्श में जो भाजपा की जो दुर्गति हुई और जो अब उपचुनाव होने वाले है उस डर की वजह से इस तरह के बयान दिए जा रहे है.' सिर्फ इतना ही नहीं अली ने कहा है कि काठ की हंडिया बार-बार नहीं चलती...यह देश मिली जुली संस्कृति से बना है इसलिए मेरा भारत महान है कि यहां पर अलग-अलग धर्म और जात के लोग हैं.'
क्या है ज्ञानवापी
काशी स्थित ज्ञानवापी का इतिहास पौराणिक काल से माना जाता है. हिंदू धार्मिक ग्रंथों की बात करें तो उनमें ज्ञानवापी का उल्लेख ज्ञान के तालाब या झील के रूप में किया गया है. शिव पुराण और स्कंद पुराण के काशी खंड अध्याय में ज्ञानवापी का अर्थ विस्तार से बताया गया है. ज्ञानवापी परिसर के अंदर एक तहखाना है जिसे 'व्यास का तहखाना' कहा जाता है. हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद वहां दोबारा पूजा शुरू करने की इजाजत दे दी गई है.