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EXCLUSIVE: “परिवार-पब्लिक और मीडिया निक्की भाटी कांड के ऊपर ‘गिद्ध’ की तरह टूट पड़े हैं, बहन कंचन की बयानबाजी संदिग्ध!”

ग्रेटर नोएडा में निक्की भाटी की संदिग्ध मौत ने समाज और मीडिया में तहलका मचा दिया है, जहां कई पक्ष अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए इस दुखद घटना का फायदा उठाने में लगे हैं. राष्ट्रीय पुरुष आयोग की अध्यक्ष बरखा त्रेहन ने कहा कि पीड़िता के ससुराल और मायके पक्षों के बीच विवाद और घटना का मीडिया-प्रचार न्याय में बाधा डाल सकता है. उन्होंने बताया कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और निक्की की बड़ी बहन कंचन के बयान इस केस में अहम भूमिका निभा सकते हैं.

EXCLUSIVE: “परिवार-पब्लिक और मीडिया निक्की भाटी कांड के ऊपर ‘गिद्ध’ की तरह टूट पड़े हैं, बहन कंचन की बयानबाजी संदिग्ध!”
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( Image Source:  statemirrornews )
संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 29 Aug 2025 9:49 PM IST

दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में हुई निक्की भाटी की संदिग्ध मौत को लेकर बबाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक निक्की भाटी (Greater Noida Nikki Bhati Dowry Death) की संदिग्ध मौत को लेकर सौ-सौ तमाशे और सैकड़ों तमाशबीन सड़क पर निकल कर आ गए हैं. आखिर निक्की भाटी की संदिग्ध मौत की इनसाइड स्टोरी क्या है? क्यों और कैसे पब्लिक, बाजार-मीडिया, समाज में उछाली जा रहा है निक्की भाटी की संदिग्ध मौत?

इन्हीं तमाम सवालों के जवाब पाने को और घटना में अब तक जो कुछ सामने आ रहा है उसकी तह-तक पहुंचने लिए, स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इनवेस्टिगेशन ने एक्सक्लूसिव बात की राष्ट्रीय पुरुष आयोग की अध्यक्ष बरखा त्रेहन से. बरखा त्रेहन यूं तो अधिकांशत: महिलाओं से पीड़ित पुरुषों के पक्ष के लिए ही देश में जानी-पहचानी जाती हैं, लेकिन स्टेट मिरर हिंदी की गुजारिश पर उन्होंने निक्की भाटी की संदिग्ध मौत को लेकर, जिस तरह से बेहद संतुलित बेबाक बात की, उसने तो समाज के ठेकेदारों, इस दुखद कांड से संबंधित पीड़ित परिवारों और मीडिया को ही कटघरे में ला खड़ा किया.

'हर कोई गिद्ध बनकर टूट पड़ा है'

बरखा त्रेहन ने तर्क दिया कि आज जब निक्की भाटी जीवित नहीं है. तब ऐसी दर्दनाक परिस्थितियों में भी उसकी अकाल मौत के लिए, हर कोई सिर्फ और सिर्फ भुनाने-कैश करने की नीयत से इस कांड पर गिद्ध बनकर टूट पड़ा है. फिर चाहे वह कोई भी हो सिवाय ग्रेटर नोएडा पुलिस के. पुलिस से भी मुझे डर है कि कहीं इस कांड में जिस तरह से पीड़ित परिवारों का समाज, पीड़ित परिवार और मीडिया तमाशा कर रहे हैं, कहीं पुलिस भी इस ज्वलंत कांड की तफ्तीश को ‘मीडिया-ट्रायल’ की भेट न चढ़ा बैठे.

'हर कोई प्यासा बैठा नजर आ रहा है'

स्टेट मिरर हिंदी के एक सवाल के जवाब में बरखा त्रेहन बोलीं, “चाहे निक्की का मायका हो, उसकी बड़ी बहन कंचन जो उसकी रिश्ते में शादी के बाद से सगी जेठानी और राजदार भी थी, ससुराल पक्ष या फिर निक्की के भाई की अपने मायके में रह रही पल्ला गांव की मनीषा. निक्की की मौत को हर कोई इस वक्त अपनी-अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए बस इस्तेमाल करने को प्यासा बैठा नजर आ रहा है. मैं यहां न तो किसी को दोषी बता रही हूं न ही किसी को निर्दोष. हां, निक्की की मौत के बाद पैदा हुए बेहद विपरीत हालातों ने उसकी ससुराल और मायके दोनों ही पक्षों के लिए समस्याओं का अंबार और भी जटिल व ऊंचा कर दिया है.”

“जो कुछ अपने कानों से सुना, वह सब बेहद डरावना है”

स्टेट मिरर हिंदी से एक्सक्लूसिव बातचीत में पुरुष आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष बरखा त्रेहन बोलीं, “देखिए निक्की की मौत के दुख को भी जो भुनाने में जुटा हो. तो उसका पाप-पुण्य वह जाने. हर किसी के सामने आगे पीछे अपनी बीबी, बच्चे परिवार-समाज होता है. आज जो निक्की की मौत को भुनाने में लगे हैं खुदा न खास्ता अगर उनका करा ही कहीं आइंदा सामने आ गया, तब उन्हें भी किसी जवान बेटी की मौत के दर्द का खुद-ब-खुद ही अहसास हो जाएगा. मैं इस पर और क्या कहूं? हां इतना जरूर है कि दोनों परिवार अब निक्की की मौत के बाद एक दूसरे को नीचा दिखाने की नियत से, या फिर पुरानी बुरी यादों, मन-मुटावों का हिसाब बराबर करने की होड़ में जुटे हैं, यह इन दोनों परिवारों के लिए ही घातक होगा. इससे न तो समाज के ठेकेदारों का कुछ बिगड़ेगा और न ही दोनो परिवार के रिश्तेदारों का इससे कोई नुकसान है. हां, इतना जरूर है कि मैंने घटनास्थल और संबंधित पक्षों के बीच जाकर अपनी आंखों से जो देखा और जो कुछ अपने कानों से सुना, वह सब बेहद डरावना है. जिसकी ओर नजर पड़ने से भी रूह कांप जाती है. परमात्मा ऐसा किसी भी घर-परिवार-कुनवे के साथ न करे. जैसा निक्की, उसके मायके और ससुराल वालों के संग हुआ है.”

“बदनसीब युवती की अकाल-मौत को कैश करने का घिनौना खेल हो रहा है”

आप ग्रेटर नोएडा में मौके पर पहुंचीं तो वहां से लौटने के बाद आज क्या सोचती हैं? पूछने पर बरखा त्रेहन बोलीं, “सीधे और साफ सपाट शब्दों में कहूं तो निक्की भाटी की संदिग्ध हालातों में हुई मौत के बाद जो कुछ हो रहा है वह, एक बदनसीब युवती की अकाल-मौत को कैश करने का घिनौना खेल है. निक्की की अकाल मौत के जिम्मेदारों को पकड़ कर सजा दिलाना कानून और पुलिस का काम है. पुलिस अपना काम कर भी रही है. बस मुझे यह आशंका है कि जिस तरह से मीडिया, आमजन, सभी पक्षकार अपनी-अपनी स्वार्थ-सिद्धी की नजर से इस घटना को भुनाने के लिए गिद्ध बनकर टूट पड़े हैं. उसके चलते कहीं निक्की या फिर उसके ससुराल-मायके वाले न्याय पाने से वंचित न रह जाएं. यह पुलिस को देखना होगा कि वह किस तरह से मौजूद सैकड़ों मजबूत सबूतों की कड़ी से कड़ी जोड़कर, मुकदमे की बेहद मजबूत चार्जशीट अदालत के सामने दाखिल करती है.”

“सबसे अहम कड़ी है निक्की की सगी बहन और जेठानी कंचन भाटी”

एक सवाल के जवाब में बरखा त्रेहन कहती हैं, “बाकी जो कुछ हो रहा है वह तो सबके सामने है ही. मेरी नजर में तो इसमें सबसे अहम कड़ी है निक्की की सगी बहन और जेठानी कंचन भाटी, जो खुद को चश्मदीद बता रही है. मगर बड़ी बहन कंचन को छोटी बहन का निजी अस्पताल के डॉक्टरों को अपनी मौत से ठीक पहले दिया गया बयान कि वह रसोई गैस सिलेंडर ब्लास्ट में आग की चपेट में आ गई थी, जबकि निक्की की सगी बहन कंचन का दावा है कि उसकी छोटी बहन या कहूं कि रिश्ते में देवरानी भी, निक्की को ससुराल वालों ने थिनर डालकर आग लगा दी. इससे उसकी मौत हुई. मैं तो कहूंगी कि निक्की की मौत का गुनहगार आइंदा पुलिस की जांच में चाहे कोई भी निकले. इस वक्त मौजूदा मगर बेहद उलझे हुए हालातों तो घटना की सबसे बड़ी अहम मजबूत कड़ी कहीं न कहीं कंचन ही है. पुलिस और कानून अगर कंचन से कड़ाई से पूछताछ कर ले. तो वह बहुत जल्दी खुल सकती है. और फटाफट निक्की की संदिग्ध मौत पर पड़ा परदा उठते ही राजफाश हो जाएगा. मैं तो कहूंगी कि पुलिस-कानून अगर कंचन का नार्को टेस्ट भी करवा ले, तब भी दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है. मैं चाहती हूं कि पूरी तरह से तबाह हो चुके ससुराल और मायके पक्षों को अब यह तो पता चलना ही चाहिए कि आखिर निक्की की अकाल मौत का असली गुनाहगार कौन है?”

“शक की सुई सबसे ज्यादा निक्की की बड़ी बहन कंचन की ओर ही घूमती है”

बरखा त्रेहन ने कहा, “मैं भले ही किसी को इस मामले में कानूनन गुनाहगार साबित करने का अधिकार नहीं रखती हूं. इतना तो फिर भी साफ है कि फिलहाल शक की सुई सबसे ज्यादा निक्की की बड़ी बहन कंचन की ओर ही घूमती है. क्योंकि उसी के बयानों में बार-बार संदेह की दुर्गन्ध उठ रही है. जहां तक बात निक्की के दूल्हा और ससुराल पक्ष के इस मामले में शामिल होने की बात है तो, मौजूदा गवाहों और सबूतों के मुताबिक तो वे सब भी जाने-अनजाने हाल-फिलहाल तो कहीं नहीं फंसते नजर आ रहे हैं. मगर यह मेरा निजी मत है न कि मेरा यह कोई अंतिम फैसला है. मुझे भी वही मानना होगा जो कानून कहेगा.”

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