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लंच बॉक्‍स में नॉनवेज लाने पर स्कूल से निकाला, अब DM कराएंगे एडमिशन; इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

अमरोहा के एक प्राइवेट स्कूल में 7 साल के छात्र के टिफिन में नॉनवेज बिरयानी मिली थी. जिसके बाद स्कूल के प्रिंसिपल ने उन्हें सितंबर 2024 में स्कूल से निकाल दिया था. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एक छात्र और दो भाईयों को राहत दी है. मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी 2025 को होगी.

लंच बॉक्‍स में नॉनवेज लाने पर स्कूल से निकाला, अब DM कराएंगे एडमिशन; इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिए निर्देश
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( Image Source:  canva )

Amroha News: हाल ही में अमरोहा जिले में स्थित एक स्कूल में तीन छात्रों को लंच बॉक्स में नॉनवेज ने जाने की वजह से निकाल दिया गया था. इलाहाबाद कोर्ट ने इसके खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने अमरोहा के जिला मजिस्ट्रेट यानी डीएम को आदेश दिया किया कि वह इस मामले की जांच करें और बच्चों का सीबीएसई स्कूल में एडमिशन कराएं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमरोहा के एक प्राइवेट स्कूल में 7 साल के छात्र के टिफिन में नॉनवेज बिरयानी मिली थी. जिसके बाद स्कूल के प्रिंसिपल ने उन्हें सितंबर 2024 में स्कूल से निकाल दिया था. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एक छात्र और दो भाईयों को राहत दी है. मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी 2025 को होगी.

डीएम को दिए निर्देश

कोर्ट ने डीएम से कहा कि वह तीनों बच्चों का दो सप्ताह के अंदर किसी अन्य सीबीएसई स्कूल में एडमिशन कराएं. आदेश का पालन न करने पर डीएम को अगली सुनवाई के लिए उपस्थित होना होगा. स्कूल से निकाले गए बच्चों की मां साबरा की ओर से याचिका दायक की थी, जिस पर जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस सुभाष चंद्र शर्मा की बेंच ने सुनवाई की. प्रिंसिपल ने छात्र पर आत्तिजनक टिप्पणी की थी. बाद में विवाद बढ़ने के बाद स्कूल ने बिरयानी लाने वाले छात्र के दो अन्य भाइयों को भी निकाल दिया था.

मां ने स्कूल पर लगाए ये आरोप

बच्चों की मां ने पहले कोर्ट में अपील की थी जिसमें कहा था कि स्कूल के व्यवहार की वजह से उसके बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है व बच्चों की पढ़ाई ठप पड़ी हुई है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बच्चों का एडमिशन कराने की जिम्मेदारी अमरोहा के डीएम की है.

योगी सरकार को दिया ये आदेश

एक अन्य मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को बड़ा आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार सेना व सशक्त बलो में सेवारत जवानों के परिवार के सदस्यों की शिकायतों के निस्तारण के लिए एक तंत्र बनाए. यह राष्ट्र का दायित्व है कि ऐसे परिवार के सदस्यों को पूरी तरह से संरक्षित कर उनका कल्याण राज्य सरकार द्वारा किया जाए. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सैन्य कर्मियों के परिवारों से जुड़ी शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. पीड़ितों को कभी भी असहाय और असुरक्षित नहीं छोड़ा जाना चाहिए.

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