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इतनी मोहब्बत! क्या विराट कोहली का गिरा विकेट तो लड़की को आया हार्ट अटैक? समझें पूरा मामला

रविवार को जब भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में शानदार जीत दर्ज की, तो पूरे देश में जश्न का माहौल था इसी बीच, उत्तर प्रदेश के देवरिया में एक दर्दनाक घटना घटी, जिसने खुशी के माहौल को गमगीन कर दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 14 साल की एक बच्ची अपने परिवार के साथ उत्साहपूर्वक मैच देख रही थी.

इतनी मोहब्बत! क्या विराट कोहली का गिरा विकेट तो लड़की को आया हार्ट अटैक? समझें पूरा मामला
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Published on: 12 March 2025 11:39 AM

रविवार को जब भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में शानदार जीत दर्ज की, तो पूरे देश में जश्न का माहौल था इसी बीच, उत्तर प्रदेश के देवरिया में एक दर्दनाक घटना घटी, जिसने खुशी के माहौल को गमगीन कर दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 14 साल की एक बच्ची अपने परिवार के साथ उत्साहपूर्वक मैच देख रही थी, लेकिन अचानक बेहोश होकर गिर पड़ी. डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि उसकी मौत हार्ट अटैक से हुई है.

क्या क्रिकेट मैच बना कारण?

मृतक बच्ची की पहचान प्रियांशी पांडेय के रूप में हुई है, जो देवरिया के अधिवक्ता अजय पांडेय की बेटी थी. प्रारंभिक रिपोर्टों में दावा किया गया कि विराट कोहली के एक रन पर आउट होते ही प्रियांशी सदमे में आ गई और उसकी मृत्यु हो गई. हालांकि, उसके पिता ने इस दावे को गलत बताया है.

अजय पांडेय ने बताया कि उन्होंने पहली पारी देखने के बाद बाजार जाने का फैसला किया, जबकि उनकी बेटी दूसरी पारी शुरू होते ही मैच देखने लगी. अचानक वह अचेत होकर गिर पड़ी. उनका कहना है कि मैच के कारण सदमे या किसी भावनात्मक झटके की बात सच नहीं लगती. जब यह हादसा हुआ, तब तक भारत का कोई विकेट नहीं गिरा था, और विराट कोहली क्रीज पर भी नहीं पहुंचे थे.

मेडिकल रिपोर्ट और परिवार का बयान

परिवार का कहना है कि प्रियांशी पूरी तरह स्वस्थ थी और उसे किसी भी प्रकार की हृदय संबंधी बीमारी की जानकारी नहीं थी. डॉक्टर्स के मुताबिक, सडन कार्डियक अरेस्ट (अचानक हृदय गति रुकना) जैसी स्थिति की संभावना हो सकती है, लेकिन इसके पीछे सटीक कारण का पता लगाने के लिए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है.

इस घटना ने पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ा दी है. क्रिकेट को लेकर भारत में लोगों की भावनाएं हमेशा से गहरी रही हैं, लेकिन इस दुखद घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि अत्यधिक भावनात्मक तनाव बच्चों और किशोरों पर क्या असर डाल सकता है.

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