हाथरस भगदड़ मामले में भोले बाबा को क्लीन चिट, जानें पुलिस पर क्यों लगा लापरवाही का आरोप
हाथरस भगदड़ मामले में भोले बाबा को क्लीन चिट मिल गई है, जबकि पुलिस प्रशासन की लापरवाही को हादसे का कारण बताया गया है. इस दर्दनाक भगदड़ में 121 लोगों की मौत हुई थी. जांच रिपोर्ट में पाया गया कि सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया, जिससे यह त्रासदी हुई. अगर भीड़ नियंत्रण सही तरीके से होता, तो हादसा रोका जा सकता था.

हाथरस भगदड़ मामले की जांच में भोले बाबा को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि उन्हें इस हादसे के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है. जांच रिपोर्ट में पुलिस की लापरवाही को मुख्य कारण बताया गया है, जिसके चलते यह दर्दनाक घटना हुई. इस भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी और कई परिवार हमेशा के लिए उजड़ गए थे. शुरुआत में कहा जा रहा था कि कार्यक्रम में जरूरत से ज्यादा भीड़ आने के कारण यह हादसा हुआ और इसके लिए आयोजकों, खासकर भोले बाबा, को भी दोषी माना जा रहा था.
हालांकि, अब जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि हादसे के पीछे पुलिस की बड़ी चूक थी. रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया और पुलिस प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी गंभीरता से नहीं निभाई. न्यायिक आयोग ने माना कि कार्यक्रम स्थल पर भारी अव्यवस्था और कुप्रबंधन था, जिससे स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई. जांच में यह भी कहा गया कि यदि भीड़ प्रबंधन सही तरीके से किया जाता तो यह त्रासदी रोकी जा सकती थी.
कब हुई थी भगदड़?
हाथरस के सिकंदराराऊ क्षेत्र के फुलराई गांव में 2 जुलाई 2024 को भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि के सत्संग के बाद मची भगदड़ में 121 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी. इस हादसे की न्यायिक जांच के लिए राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया था. इस समिति में सेवानिवृत्त आईपीएस भवेश कुमार सिंह और सेवानिवृत्त आईएएस हेमंत राव को सदस्य बनाया गया था.
सदन में रखी जा सकती है रिपोर्ट
आयोग ने मृतकों के परिजनों, घायलों, प्रत्यक्षदर्शियों और स्वयं भोले बाबा के बयान दर्ज किए. दूसरी ओर, पुलिस ने इस घटना के लिए आयोजकों को दोषी मानते हुए अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था. न्यायिक आयोग ने जनवरी 2025 के अंतिम सप्ताह में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी थी, जिसे गुरुवार को कैबिनेट में प्रस्तुत किया गया. संभावना है कि बजट सत्र के दौरान यह रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी जा सकती है.