एक पैर है पैरालाइज, फिर भी समय से पहले पूरा किया SIR का काम, अमेठी की BLO बनी मिसाल, जिला अधिकारी ने दिया स्पेशल डिनर का ऑफर
उत्तर प्रदेश के अमेठी की एक साधारण सी दिखने वाली लेकिन असाधारण हिम्मत रखने वाली महिला ने यह साबित कर दिया. बचपन से पोलियो के कारण बाईं टांग से लाचार होने के बावजूद, राजरानी ने न सिर्फ अपना काम पूरा किया, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा बनकर उभरीं. स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न (SIR) ड्राइव में Booth-Level Officer (BLO) के रूप में उनकी यह यात्रा किसी कथा से कम नहीं.
एक पैर के पैरालाइज होने के बावजूद अमेठी की BLO राजरानी ने जो कर दिखाया, वह सिर्फ ड्यूटी निभाना नहीं बल्कि हिम्मत और जिम्मेदारी का बेमिसाल उदाहरण है. स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न (SIR) ड्राइव के तहत बूथ के सैकड़ों घरों तक पहुंचने का काम जहां कई लोगों के लिए चुनौती बन जाता है, वहीं राजरानी ने इसे अपने जज़्बे से आसान बना दिया.
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समय सीमा से पहले अपना काम पूरा करने के बाद उनके प्रयासों और समर्पण को अमेठी प्रशासन ने भी सलाम किया है. जिला अधिकारी ने राजरानी और उनके परिवार को स्पेशल डिनर के लिए आमंत्रित कर उन्हें सम्मानित करने का फैसला लिया है.
एक पैर है पैरालाइज
संग्रमपुर गांव की 47 साल की राजरानी एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं. बचपन में हुए पोलियो अटैक के कारण बाईं टांग से चलने-फिरने में असमर्थ हैं. लेकिन यह उनके काम में बाधा नहीं बना. नवंबर की शुरुआत में जैसे ही उन्हें बूथ नंबर 212 के 753 वोटरों का जिम्मा मिला, उन्होंने अगले ही दिन काम शुरू कर दिया.
साइकिल बनी सहारा, बेटी बनी कदम
उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी उनकी 21 साल बेटी प्रीति, जो रोज साइकिल चलाकर मां को पूरे क्षेत्र में लेकर जाती थी. मां पीछे बैठतीं, बेटी पैडल मारती, और दोनों घर-घर जाकर फॉर्म बांटतीं, बातें समझातीं, और जरूरत पड़ने पर वहीं बैठकर फॉर्म भर देतीं.
डिनर के लिए बुलाया घर
समय से पहले अपना काम पूरा करने के बाद राजरानी को अमेठी प्रशासन ने सम्मानित करने का फैसला लिया. उप-जिलाधिकारी अमित कुमार सिंह ने उनके परिवार सहित डिनर पर बुलाया है. यह सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि एक संदेश था कि मेहनत और लगन हमेशा देखी जाती है.
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खुद भरती हैं ज्यादातर फॉर्म
राज रानी ने बताया कि उन्होंने अपने क्षेत्र के वोटरों को फॉर्म दिए और उन्हें भरकर वापस देने को कहा. उन्होंने लोगों से यह भी कहा कि यदि कोई परेशानी हो तो अपनी फोटो लेकर उनके पास आ सकते हैं. वह रोज सुबह घर के बाहर बैठकर फॉर्म भरने का काम करती थीं. उनके क्षेत्र के ज्यादातर लोग अनपढ़ हैं और पूरी तरह खेती पर निर्भर हैं. इसी वजह से अधिकांश फॉर्म उन्होंने खुद ही भरकर पूरे किए और बाद में इन सभी को डिजिटाइज करवाया.





