आगरा धर्मांतरण गैंग का पर्दाफाश! लूडो जैसे ऑनलाइन गेम से लड़कियों को बना रहे थे शिकार, पाकिस्तान से चल रहा था रैकेट
पूरे देश में धर्मांतरण का रैकेट चल रहा है. पुलिस ने आगरा भी इस गैंग का पर्दाफाश किया है, जिसमें पता चला है कि पाकिस्तान से दो लोग इस गिरोह को चला रहे थे. ऑनलाइन गेम और इसके बाद डार्क वेब के जरिए लड़कियों का ब्रेन वॉश किया जाता था.

आगरा की दो बहनें एक 33 साल की और दूसरी 18 की अचानक लापता हो गईं. जब उनके परिजनों ने पुलिस से संपर्क किया, तो किसी को अंदाजा नहीं था कि यह मामला एक अंतरराष्ट्रीय साजिश की परतें खोलेगा. जांच शुरू हुई और धीरे-धीरे पुलिस एक ऐसे नेटवर्क तक पहुंची जिसने पूरे देश को चौंका दिया.
आगरा में धर्मांतरण गैंग का लिंक पाकिस्तान से था. दूसरे देश में बैठे दो शख्स ऑनलाइन गेम के जरिए लड़कियों से बातचीत कर शुरू करते थे. इसके बाद, डार्क वेब के जरिए व्हाट्सएप और डार्क वेब के ज़रिए ब्रेनवॉश करने का काम किया जाता था. पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया है.
छह राज्यों से गिरफ्तारियां
जांच के दौरान पुलिस ने देश के छह राज्यों से 10 लोगों को गिरफ्तार किया. शुरुआत में लग रहा था कि ये सिर्फ लापता लड़कियों का मामला है, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, पता चला कि ये एक पूरा संगठित गिरोह था जो देशभर में एक्टिव था. इस केस में एक महिला ने सोशल मीडिया पर खुद की एक तस्वीर एके-47 राइफल के साथ पोस्ट की थी, जिससे पुलिस को इस गिरोह की गंभीरता और खतरनाक इरादों का अंदाज़ा हुआ. इसके बाद पुलिस ने चार और लोगों को गिरफ्तार किया. अब तक कुल 14 लोग इस मामले में पकड़े जा चुके हैं.
ऑनलाइन गेम बना धर्मांतरण का पहला हथियार
पुलिस के मुताबिक, इस गिरोह की चालें बहुत चालाक और आज के दौर के हिसाब से थी. ये लोग लड़कियों और युवाओं को ऑनलाइन गेम्स, जैसे लूडो, के ज़रिए अपने जाल में फंसाते थे. गेम खेलते-खेलते बातचीत शुरू होती और धीरे-धीरे उन्हें इस्लाम धर्म की अच्छी बातें बताकर उनका मन बदलने की कोशिश की जाती थी.
पाकिस्तान से कनेक्शन
जांच में सबसे हैरान करने वाली बात यह सामने आई कि इस गिरोह का सीधा संबंध पाकिस्तान से था. पुलिस ने बताया कि पाकिस्तान में रहने वाले तनवीर अहमद और साहिल अदीम नाम के दो लोग इस साजिश में शामिल थे. ये लोग ऑनलाइन वेबसाइट्स के ज़रिए लड़कियों को बहकाने और उनका दिमाग़ बदलने में मदद करते थे.
व्हाट्सएप और डार्क वेब के ज़रिए ब्रेनवॉश
जब लड़कियों की इस मामले में दिलचस्पी बढ़ने लगती, तो उन्हें व्हाट्सएप ग्रुपों में शामिल कर लिया जाता. वहां उन्हें इस्लाम धर्म से जुड़ी बातें और वीडियो भेजे जाते, और साथ ही हिंदू धर्म के खिलाफ भड़काने वाली बातें भी की जातीं. अगर किसी लड़की का परिवार इसका विरोध करता, तो उसे अपने ही घरवालों के खिलाफ भड़काया जाता. यह गिरोह इतना चालाक था कि उसने सिग्नल जैसे ऐप और डार्क वेब का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, ताकि पुलिस या सुरक्षा एजेंसियों को उनकी हरकतों का पता न चल सके. पुलिस का कहना है कि इस गैंग के कम से कम तीन लोग डार्क वेब की अच्छी जानकारी रखते हैं.
मुख्य आरोपी: अब्दुल रहमान और आयशा
इस पूरे गिरोह का सरगना दिल्ली का रहने वाला अब्दुल रहमान था, जिसने 1990 में इस्लाम धर्म अपना लिया था. उसके साथ गोवा की रहने वाली आयशा भी इस रैकेट की एक बड़ी साथी थी. ये दोनों मिलकर देहरादून (उत्तराखंड), बरेली, अलीगढ़, रायबरेली (उत्तर प्रदेश) और झज्जर व रोहतक (हरियाणा) जैसे शहरों की लड़कियों को अपना निशाना बना रहे थे.
क्या था मकसद?
पुलिस के अनुसार, इस गिरोह का मकसद केवल धर्मांतरण कराना नहीं था, बल्कि यह एक गहरी वैचारिक लड़ाई थी, जिसमें युवाओं को देश और उनके मूल धर्म से काटने की कोशिश की जा रही थी. यह मामला अब केवल राज्य पुलिस का नहीं रहा, बल्कि केंद्रीय एजेंसियां भी इसकी जांच में शामिल हो गई हैं.