कानपुर में 6 मंजिला इमारत में लगी भीषण आग, धमाकों से दहला इलाका; तीन लोगों की मौत
कानपुर के प्रेमनगर इलाके में रविवार रात एक रिहायशी अपार्टमेंट में चल रहे अवैध जूता कारखाने में भीषण आग लग गई, जिससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई. एडीसीपी सेंट्रल राजेश श्रीवास्तव के अनुसार, अब तक पांच लोगों को अस्पताल भेजा गया है, जिनकी हालत गंभीर है और उनके बचने की उम्मीद बहुत कम बताई जा रही है.

कानपुर के प्रेमनगर में रविवार रात एक 6 मंजिला अपार्टमेंट आग की लपटों में तब्दील हो गया. पहली मंजिल पर अवैध रूप से चल रही जूता फैक्ट्री में शॉर्ट सर्किट से लगी आग ने मिनटों में पूरी इमारत को घेर लिया. फैक्ट्री में रखे केमिकल ड्रम, सिलेंडर और एसी के फटने से भयानक धमाके हुए, जिससे पूरा इलाका दहल उठा. चश्मदीदों के अनुसार, आग इतनी तेजी से फैली कि लोग चीखते-चिल्लाते हुए मदद की गुहार लगाते रहे.
इस हादसे ने एक बार फिर रिहायशी इलाकों में चल रहे अवैध कारोबारों और प्रशासन की ढिलाई की पोल खोल दी. जिस इमारत में यह फैक्ट्री चल रही थी, वहां आग से निपटने के कोई इंतजाम नहीं थे. ना आपातकालीन निकास, ना फायर अलार्म, और ना ही दमकल की पहुंच के अनुकूल संरचना. रोड इतनी संकरी थी कि दमकल गाड़ियों को घुसने में घंटों लग गए.
इसी इमारत की तीसरी और चौथी मंजिल पर कारोबारी दानिश का परिवार रहता था. आग के दौरान दानिश, उसकी पत्नी नाजनीन, तीन बेटियां और और उन्हें पढ़ाने आए टीचर अंदर ही फंसे रह गए. दमकल कर्मियों ने काफी मशक्कत के बाद देर रात तक एक महिला सहित तीन शव बरामद किए. जबकि दानिश की बेटियां सारा, समिरा और इनाया लापता रहीं. उनके बेडरूम तक तापमान इतना अधिक था कि एसडीआरएफ टीम वहां तक पहुंच नहीं सकी. एडीसीपी सेंट्रल राजेश श्रीवास्तव के अनुसार, अब तक पांच लोगों को अस्पताल भेजा गया है, जिनकी हालत गंभीर है और उनके बचने की उम्मीद बहुत कम बताई जा रही है.
वहां के लोगों ने क्या कहा?
चश्मदीदों के अनुसार, आग लगने के कुछ ही मिनटों में तीन तेज धमाके हुए, जिनकी आवाज दूर-दूर तक सुनाई दी. माना जा रहा है कि ये धमाके सिलेंडर फटने के कारण हुए. महज बीस मिनट में आग ने पांचवीं मंजिल तक को लील लिया. रहवासी इलाके में इस तरह का विस्फोटक माहौल इस ओर इशारा करता है कि ये सिर्फ हादसा नहीं, बल्कि वर्षों की लापरवाही का विस्फोट था.अवैध फैक्ट्री की जांच क्यों नहीं हुई?
रात करीब एक बजे आग पर काबू पाने के बाद भी राहत कार्य में बाधाएं आती रहीं. इमारत में धुएं के गुबार और बार-बार भड़कती आग ने बचाव दल की कोशिशों को धीमा कर दिया. हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म और दीवार तोड़ने जैसे उपायों के बाद ही अंदर पहुंचना संभव हो पाया. करीब 60 से अधिक दमकल कर्मी और एनडीआरएफ की टीम राहत कार्य में लगी रही. घटना के बाद मौके पर विधायक, महापौर और प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे, लेकिन सवाल यही रहा कि जब इमारत में दो मंजिलों पर अवैध फैक्ट्री चल रही थी, तो अधिकारियों की आंखें अब तक क्यों बंद थीं? यह हादसा महज़ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि सिस्टम की असफलता का जीवंत उदाहरण बन गया है.