400 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली 150 साल पुरानी बावड़ी! संभल में और कितने राज हैं दफन?
संभल में 150 साल पुरानी बावड़ी मिली है. चंदौसी के लक्ष्मणगंज इलाके से यह बावड़ी मिली है. यह क्षेत्र के 400 वर्ग मीटर में फैला हुआ है. चंदौसी के नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी कृष्ण कुमार सोनकर ने रविवार को इस खोज की जानकारी दी. संभल में 13 दिसंबर को भस्म शंकर मंदिर फिर से खोला गया था, और उसके बाद से ही यहां खुदाई का काम किया जा रहा था.

उत्तर प्रदेश के संभल जिले से एक ऐतिहासिक और रोमांचक खबर सामने आई है, जहां प्राचीन समय की एक बावड़ी की खोज हुई है. यह बावड़ी लगभग 150 साल पुरानी है और इसका आकार 400 वर्ग मीटर से अधिक है. दो दिनों की खुदाई के बाद यह बावड़ी चंदौसी के लक्ष्मण गंज इलाके में प्राप्त हुई.
शनिवार को चंदौसी नगर पालिका द्वारा शुरू की गई खुदाई के दौरान लक्ष्मण गंज इलाके में यह प्राचीन बावड़ी पाई गई. अधिकारियों के अनुसार, यह बावड़ी 250 फीट गहरी है और यह क्षेत्र 400 वर्ग मीटर में फैला हुआ है. चंदौसी के नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी कृष्ण कुमार सोनकर ने रविवार को इस खोज की जानकारी दी. इस बावड़ी के बारे में माना जा रहा है कि यह लगभग 125 से 150 साल पुरानी हो सकती है.
दो क्षतिग्रस्त मूर्तियां भी मिली
संभल में 13 दिसंबर को भस्म शंकर मंदिर फिर से खोला गया था, और उसके बाद से ही यहां खुदाई का काम किया जा रहा था. अधिकारियों के अनुसार, इस बावड़ी की खोज अतिक्रमण रोधी अभियान के तहत की गई. बावड़ी के भीतर दो क्षतिग्रस्त मूर्तियां भी मिली हैं.
बावड़ी का निर्माण और इतिहास
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह बावड़ी बिलारी के राजा के नाना के शासनकाल के दौरान बनाई गई थी. यह जानकारी स्थानीय लोककथाओं और इतिहास के अनुसार प्राचीन काल की है. चंदौसी के जिलाधिकारी, राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि इस क्षेत्र को पहले तालाब के रूप में रजिस्टर्ड किया गया था, लेकिन अब यहां एक पुरानी बावड़ी की खोज ने नए पहलू को उजागर किया है.
बावड़ी की ऊपरी मंजिल में ईंटों का उपयोग किया गया है, जबकि दूसरी और तीसरी मंजिल में संगमरमर का काम किया गया है. इस बावड़ी में चार कमरे और एक कुआं भी पाया गया है, जो इसकी ऐतिहासिक और वास्तुकला की महत्ता को दर्शाता है. अधिकारियों ने इस संरचना को बचाने के लिए सभी कदम उठाने का आश्वासन दिया है, ताकि यह धरोहर सुरक्षित रहे.
मंदिर की मरम्मत की जरूरत
डीएम राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि बावड़ी के पास स्थित बांके बिहारी मंदिर की हालत भी अच्छी नहीं है. इस मंदिर में लगभग 150 साल पुरानी दो मूर्तियां मिली हैं. इन मूर्तियों को अब सुरक्षित किया गया है, और मंदिर की मरम्मत के लिए कदम उठाए जाएंगे. इसके आसपास का अतिक्रमण भी हटाया जाएगा, ताकि ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा हो सके.
इस बावड़ी के बारे में सबसे पहले जानकारी चंदौसी के निवासी कौशल किशोर ने दी थी, जिन्होंने जिला कार्यालय से संपर्क कर इस ऐतिहासिक संरचना की ओर ध्यान आकर्षित किया. कौशल किशोर ने इस क्षेत्र में हिंदू समुदाय के बारे में भी जानकारी साझा की और बताया कि पहले यहां बिलारी की रानी का निवास स्थान हुआ करता था.
एएसआई सर्वे हो सकता
डीएम ने यह भी बताया कि इस ऐतिहासिक स्थल के संरक्षण के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सर्वे कराने की संभावना पर विचार किया जा रहा है. यदि आवश्यक हुआ तो एएसआई से सहायता प्राप्त की जा सकती है. इसके साथ ही, बावड़ी और मंदिर के आसपास की इलाके में अतिक्रमण को हटाने के प्रयास जारी रहेंगे.