बरसात ने रोकी पढ़ाई, राजस्थान में श्मशान घाट बना बच्चों का क्लासरूम! जानें पूरा मामला
राजस्थान से एक अजीब मामला सामने आया है जिसके बारें में कुछ लोग सुनकर हैरान हैं. दरअसल राजस्थान के ग्रामीण इलाके में नाले का पानी तीन महीने से लगातार बह रहा है जिससे बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसे प्राइमरी स्कूल के 15 बच्चों एक टीचर शमशान घाट के वेटिंग एरिया में पढ़ा रहे हैं.

राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में बरसात का मौसम बच्चों की पढ़ाई पर भारी पड़ रहा है. हालात ऐसे हैं कि नाले का पानी तीन महीने से लगातार बह रहा है और अभी भी बहना जारी है. इसी वजह से बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पा रहे.बच्चों की पढ़ाई बंद न हो, इसके लिए शिक्षक नाले से पहले बने श्मशान घाट के वेटिंग एरिया में उन्हें पढ़ाने के लिए मजबूर हैं. श्मशान घाट का यह दृश्य देखने वालों को अजीब लगता है. जहां लोग जाने से भी हिचकते हैं, वहां रोज छोटे-छोटे बच्चे किताब-कॉपी लेकर बैठते हैं और पढ़ाई करते हैं. लेकिन शिक्षक उनकी मजबूरी समझते हुए हर हाल में उन्हें पढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
गांव के प्राइमरी स्कूल में कुल 38 बच्चे पढ़ते हैं, जो पहली से पांचवीं कक्षा तक के हैं. इनमें से 15 बच्चे नाले से पहले वाले इलाके में रहते हैं, इसलिए वे स्कूल नहीं जा पाते. इन्हीं बच्चों को श्मशान घाट के वेटिंग एरिया में पढ़ाया जा रहा है. वहीं नाले के पार रहने वाले 23 बच्चे रेगुलर स्कूल जाते हैं, जिन्हें दूसरे शिक्षक पढ़ाते हैं. शिक्षक सुबह 7:30 बजे से दोपहर 1 बजे तक बच्चों को पढ़ाते हैं. उसके बाद आधा किलोमीटर पैदल चलकर नाले को पार करते हुए स्कूल तक जाते हैं और अपनी अपीयरेंस दर्ज कराते हैं.
हर साल दोहराई जाती है यही समस्या
शिक्षकों का कहना है कि यह समस्या नई नहीं है. हर साल बरसात के मौसम में यह नाला तेज़ी से बहने लगता है और बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होती है. यह परेशानी जुलाई से शुरू होकर पूरे सितंबर महीने तक बनी रहती है. बरसों से शिक्षक और बच्चे इसी तरह किसी न किसी अल्टरनेटिव अरेंजमेंट के सहारे पढ़ाई करते आ रहे हैं.
शिकायत हुई लेकिन समाधान नहीं
शिक्षक दिनेश बैरवा ने बताया कि करीब 4 साल पहले उन्होंने इस समस्या को संपर्क पोर्टल पर दर्ज करवाया था. इसके बाद पंचायत ने संबंधित विभाग को पत्र लिखा, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं निकला. दिनेश बैरवा 2017 से इस स्कूल में सेवा दे रहे हैं, जबकि उनके साथी शिक्षक नाथू सिंह 1999 से बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. इतने लंबे समय के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है.
पुलिया बने तो मिलेगी राहत
शिक्षा विभाग के सीबीओ नूतन प्रकाश जोशी ने स्वीकार किया कि बच्चों को सचमुच परेशानी झेलनी पड़ रही है. उनका कहना है कि अगर पुलिया और सड़क का काम पूरा हो जाए, तो बच्चों को आने-जाने में कठिनाई नहीं होगी और शिक्षा भी बाधित नहीं होगी. उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मामले को फिर से दिखवाया जाएगा.