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राजस्थान में आरक्षण पर सियासी बवाल, क्रीमी लेयर को लेकर 'BAP' और 'BJP' में तकरार

राजस्थान में 24 नवंबर को 'आदिवासी आरक्षण मंच' आरक्षण में क्रीमी लेयर की बड़ी रैली होने वाली है. भाजपा ने आरक्षण की इस मांग का समर्थन किया है. वहीं भारत आदिवासी पार्टी ने इससे दूर बनाई है. दोनों की ओबीसी अधिकार मंच ने भी अनुसूचित क्षेत्र की पिछड़ी जातियों के लिए ओबीसी आरक्षण में अलग से कोटे की मांग की है.

राजस्थान में आरक्षण पर सियासी बवाल, क्रीमी लेयर को लेकर BAP और BJP में तकरार
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( Image Source:  canva )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Updated on: 17 Nov 2024 10:42 PM IST

Rajasthan News: देश भर में चुनाव के दौरान जाति को लेकर राजनीति शुरू हो जाती है. पॉलिटिकल पार्टियां आरक्षण को लेकर सियासत करने लगती हैं. राजस्थान में 24 नवंबर को 'आदिवासी आरक्षण मंच' आरक्षण में क्रीमी लेयर की बड़ी रैली होने वाली है.

NDTV में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा ने आरक्षण की इस मांग का समर्थन किया है. वहीं भारत आदिवासी पार्टी ने इससे दूर बनाई है. दोनों की ओबीसी अधिकार मंच ने भी अनुसूचित क्षेत्र की पिछड़ी जातियों के लिए ओबीसी आरक्षण में अलग से कोटे की मांग की है.

राजस्थान में आरक्षण का व्यवस्था

राजस्थान में आरक्षण की बात करें तो अभी यहां दो तरह की व्यवस्था देखने को मिलती है. सामान्य क्षेत्रों में ओबीसी 12 %, अनुसूचित जाति 16 %, जनजाति 12 %, EWS 10 % और एमबीसी के लिए 5 % आरक्षण है. वहीं अनुसूचित क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के लिए 45%, अनुसूचित जाति के लिए 5% आरक्षण की व्यवस्था है. ओबीसी आरक्षण यहां पर लागू नहीं है. बाकी 50 % भी अनुसूचित क्षेत्र के निवासियों के लिए आरक्षित हैं.

क्या है मंच की मांग?

जानकारी के अनुसार प्रदेश में 12 जनजातियों को नोटिफाइड शिड्यूल ट्राइब की श्रेणी में रखा गया है. इनके तहत भील और मीणा सबसे बड़ी जनजाति है. साल 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में भील जाति की संख्या 41 लाख से अधिक थी. ये जनजातीय आबादी का 44 फीसदी है. बता दें कि भील अधिकतर दक्षिणी राजस्थान के इलाके में रहते हैं. भील जनजातीय आबादी का कुल 47 फीसदी है. मीणा अधिकतर पूर्वी राजस्थान के इलाके में रहते हैं. आदिवासी लंबे समय से अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में उप-वर्गीकरण की मांग कर रहा है.

कितना है एसटी आरक्षण का लाभ

इस संबंध में केंद्रीय कमेटी के सलाहकार प्रो. मणिलाल गरासिया ने कहा कि यह मांग काफी पुरानी है. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद मंच ने मांग और तेज कर दी. राजस्थान में एसटी आरक्षण का लाभ सिर्फ एक जाति को मिला है. राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए 12 फीसदी आरक्षण में 6 फीसदी दक्षिणी राजस्थान के आदिवासियों को दिया जाए. इसी मांग के लिए सितंबर में आदिवासी आरक्षण मंच के सदस्यों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात की थी.

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