सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी भी बेअसर, पंजाब में अब तक पराली जलाने के 62 मामले, 14 एफआईआर दर्ज
Stubble Burning: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों के किसानों को पराली न जलाने की चेतावनी दी थी. इसके बाद भी पंजाब में अब तक पराली जलाने के 62 मामले, 14 एफआईआर दर्ज की गई, मामलों में 14 FIR दर्ज की हैं, जिनमें 13 FIR अमृतसर जिले की हैं. 27 मामलों में 1.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, जिसमें से 50,000 रुपये वसूले गए हैं.

Stubble Burning: हर साल दिवाली से पहले पंजाब और हरियाणा में वायु प्रदूषण बढ़ जाता है. सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं सामने आती रहती हैं. इन दिनों पंजाब में धान की कटाई के मौसम के साथ ही पराली जलाने की घटनाएँ फिर से बढ़ने लगी हैं.
पंजाब सरकार पराली जलाने वालों पर कड़ी निगरानी रख रही है. राज्य सरकार की सैटेलाइट निगरानी के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में राज्य में 62 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं. इसके अलावा, 14 मामलों में किसानों के खिलाफ FIR भी दर्ज की गई है.
पराली जलाने के बढ़ते मामले
सोमवार को अमृतसर जिले में 3, कपूरथला में 1 और तरनतारन में 2 पराली जलाने की घटनाएँ दर्ज की गईं. 15 सितंबर से अब तक पंजाब में कुल 62 घटनाएं हुई हैं, जिनमें सबसे अधिक 38 घटनाएं अमृतसर से सामने आई हैं. अन्य जिलों में बर्नाला में 2, बठिंडा, फिरोजपुर, होशियारपुर, जालंधर, कपूरथला, संगरूर, एसएएस नगर और मलेरकोटला में एक-एक, जबकि पटियाला और तरनतारन में 7 घटनाएँ दर्ज की गईं.
किसानों को भरना होगा जुर्माना
पंजाब पुलिस ने पराली जलाने के मामलों में 14 FIR दर्ज की हैं, जिनमें 13 FIR अमृतसर जिले की हैं. 27 मामलों में 1.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, जिसमें से 50,000 रुपये वसूले गए हैं. सरकार ऐसा योजना बना रही है, जिसके तहत कुछ किसानों को अपनी जमीन पर लोन लेने या उसे बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी. फार्म फायर की रिकॉर्डिंग 15 सितंबर से शुरू हुई है और 30 नवंबर तक जारी रहेगी.
पिछले सालों का डेटा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में पंजाब में पराली जलाने के 10,909 फार्म फायर दर्ज हुए. 2023 में यह संख्या 36,663 थी, जिससे पराली जलाने की घटनाओं में लगभग 70 प्रतिशत की गिरावट देखी गई. प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं, जहां हर साल पराली जलाने की घटनाएँ बढ़ती ही जाती हैं.
क्यों जलाते हैं पराली?
हर साल अक्टूबर और नवंबर में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, जिसका असर दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर भी पड़ता है. वायु की गुणवत्ता निचले स्तर पर पहुंच जाती है और लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
धान की कटाई और रबी की फसल, खासकर गेहूं, की बुवाई के बीच समय कम होने के कारण किसान फसल की अवशेष जल्दी साफ करने के लिए पराली जलाते हैं. यह पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है.