जहर नहीं...कोदो बाजरा ने ली जान! क्या बांधवगढ़ में हाथियों की मौत की वजह सुरक्षा में चूक?

Bandhavgarh elephant deaths: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मरने वाले 10 हाथियों की टॉक्सीकोलॉजी रिपोर्ट सामने आ गई है, जिसने पहले जानबूझकर जहर देने वाले आरोप को खारिज कर दिया है. रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मरने वाले हाथियों ने बड़ी मात्रा में कोदो बाजरा के पौधे खा लिए थे , जो फंगस से संक्रमित थे.
वन्यजीव संरक्षण, प्रबंधन और रोग निगरानी केंद्र , आईसीएआर-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली की विष विज्ञान जांच रिपोर्ट ने भी इस संदेह को खारिज कर दिया कि हाथियों को जानबूझकर जहर दिया गया हो सकता है. लैब ने हाथियों के लीवर, किडनी, तिल्ली, हृदय, फेफड़े, पेट और आंतों के नमूनों का विश्लेषण किया था. सभी एकत्रित नमूनों में साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड की मौजूदगी पाई गई.
नमूने में मिला साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड
नमूने में पाए गए साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड की एप्रोक्सीमेट कॉन्सन्ट्रेशन 100 पीपीबी से अधिक थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि सटीक कॉन्सन्ट्रेशन का अनुमान लगाने के लिए सभी नमूनों की आगे की जांच की जा रही है. परिणाम बताते हैं कि हाथियों ने बड़ी मात्रा में कोदो पौधे/अनाज खाए होंगे.
हाथियों की सुरक्षा में हुई चूक?
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत में सुरक्षा से जुड़े सवाल भी खड़े कर दिए हैं, जिसमें ये भी कहा जा रहा है कि जब ये एक जहरीला अनाज है तो इसके आसपास इसकी खेती की इजाजत भी क्यों दी गई. हालांकि, अब इसे लेकर किसानों को आगाह किया गया है, लेकिन अगर इस पर पहले ही कदम उठाए जाते तो हाथियों की जान बच जाती.
क्या होता है कोदो बाजरा?
कोदो अनाज (Kodo Millet), जिसे कोदो (Kodo) या कोदो चावल भी कहा जाता है, एक प्रकार का प्राचीन अनाज है जो मुख्य रूप से भारत और अन्य एशियाई देशों में उगाया जाता है. यह एक पोषक तत्वों से भरपूर, स्वस्थ और ग्लूटेन-फ्री अनाज है, जिसे विभिन्न प्रकार से खाया जा सकता है. चूंकि, ये ऐसे ही जहरीला होता है, इसलिए इसे ठीक से पकाकर खाने की सलाह दी जाती है. सीपीए (साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड) कोदो बाजरा के बीजों से जुड़े प्रमुख माइकोटॉक्सिन में से एक है, जो कोदो विषाक्तता का कारण बनता है.