Begin typing your search...

पति की हत्या को लेकर प्रोफेसर ममता पाठक ने कोर्ट में दी थी हैरान करने वाली दलील, फिर कैसे हुई उम्रकैद की सजा? | VIDEO

MP News: एमपी हाई कोर्ट ने केमिस्ट्री की पूर्व प्रोफेसर ममता पाठक को उनके पति की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. उन्होंने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में खुद अपनी अपील दायर की और सीमित कानूनी सहायता मिलने पर स्वयं ही बहस की शुरुआत की. उनकी दलीलें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.

पति की हत्या को लेकर प्रोफेसर ममता पाठक ने कोर्ट में दी थी हैरान करने वाली दलील, फिर कैसे हुई उम्रकैद की सजा? | VIDEO
X
( Image Source:  @ShrutiDhore )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Updated on: 31 July 2025 7:44 AM IST

MP News: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की ये कमेस्ट्री प्रोफ़ेसर तो याद ही होगा. अपनी दलीलों से सबको हैरान कर दिया था. सोशल मीडिया पर लोग काफी तारीफ कर रहे थे. दरअसल प्रोफेसर पत्नी पर साइंस का सहारा लेकर अपने पति की हत्या करने का आरोप था. घटना साल 2021 की है, लेकिन अब आरोपी ने खुद को डिफेंड करने के लिए एमपी हाईकोर्ट में दलील दी तो सभी चौंक गए.

अब एमपी हाईकोर्ट में इससे मामले की सुनवाई हुई और केमिस्ट्री की पूर्व प्रोफेसर ममता पाठक को उनके पति की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. इस घटना की अब हर और चर्चा हो रही है कि आखिर तथ्यपूर्ण दलील देने के बाद महिला को उम्रकैद कैसे हुई.

क्या है मामला?

छतरपुर जिले की निवासी प्रोफेसर ममता पाठक को 2022 में उनके पति डॉ. नीरज पाठक की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था. 2021 में डॉ. पाठक की उनकी घर में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हुई थी. प्रारंभिक रूप से पुलिस ने इसे बिजली के करंट से हुई दुर्घटना बताया, लेकिन पोस्टमार्टम और फोरेंसिक जांच में संदेह उभरे, जिसने हत्या की ओर इशारा किया.

पुलिस ने जांच शुरू की और सारे सबूत डॉ. की पत्नी ममता पर शक पैदा कर रहे थे. जिला अदालत ने चिकित्सा और अन्य सबूतों के आधार पर उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी. इसके बाद उन्हें मानसिक रूप से विकलांग बच्चे की देखभाल के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया था.

खुद लड़ा अपना केस

उन्होंने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में खुद अपनी अपील दायर की और सीमित कानूनी सहायता मिलने पर स्वयं ही बहस की शुरुआत की. ममता ने अत्यंत संयम और आत्मविश्वास के साथ यह दावा किया कि थर्मल बर्न और इलेक्ट्रिक बर्न देखने में मिलते-जुलते हो सकते हैं और केवल रासायनिक विश्लेषण ही अंतर स्पष्ट कर सकते हैं. जिनकी इस मामले में अनुपस्थिति थी.

जब न्यायाधीश ने पूछा, क्या आप रसायनशास्त्र की प्रोफेसर हैं? तब उन्होंने शांत स्वभाव से कहा, हां. उनके वैज्ञानिक तर्क, दबाव में शांतिपूर्ण प्रतिक्रिया और हत्या के मुकदमे के दौरान अपना आत्म-नियंत्रण बनाए रखना उन्हें इंटरनेट सेंसेशन बना गया

कोर्ट का बयान

सरकार अधिवक्ता मानस मणि वर्मा ने बताया कि न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए वरिष्ठ वकील सुरेंद्र सिंह को अमिकस क्यूरीए (amicus curiae) नियुक्त किया जिससे ममता पाठक को न्यायसंगत सुनवाई मिल सके. अदालत ने विस्तृत विचार-विमर्श के बाद पाया कि सबूत और परिस्थिति स्पष्ट रूप से दोष की ओर इशारा करते हैं. बेंच ने यह कहा कि यह अपराध योजनाबद्ध हत्या की श्रेणी में आता है और दोषी को तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया है.

MP news
अगला लेख