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जालसाजों ने दुकानों समेत पेट्रोल पंप पर रातों-रात बदले क्यूआर कोड, व्यापारियों के बदले ठगों के खाते में पहुंचे पैसे

मध्यप्रदेश में ऑनलाइन ठग गिरोह का मामला सामने आया है जहां रातों-रात गिरोह ने दुकानों समेत पेट्रोल पंप पर लगे क्यूआर कोड स्कैन बदलकर अपने स्कैन लगा लिए. जिसके बाद से ग्राहकों द्वारा किए जा रहे भुगतान सीधे जालसाजों के पास पहुंच रहे थे. हालांकि अब तक इस मामले में साइबर पुलिस जांच कर रही है.

जालसाजों ने दुकानों समेत पेट्रोल पंप पर रातों-रात बदले क्यूआर कोड, व्यापारियों के बदले ठगों के खाते में पहुंचे पैसे
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( Image Source:  Create By AI )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 27 Oct 2025 3:05 PM IST

मध्य प्रदेश के खजुराहो में कई व्यापारिको को उस समय झटका लगा जब ग्राहकों ने उनकी दुकानों पर क्यूआर कोड स्कैन किया लेकिन पैसा उनके खातों में नहीं पहुंचा. बाद में जांच करने पर सीसीटीवी फुटेज में ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह को रातों-रात ऑनलाइन भुगतान स्कैनर बदलते हुए दिखाया गया.

गिरोह ने मौजूदा स्कैनर पर नए क्यूआर कोड चिपकाए. जिससे जालसाजों ने लगभग आधा दर्जन व्यवसायों को निशाना बनाया, जिसके कारण भुगतान आरोपियों के खातों में पहुंच गया, जिनकी अभी तक पहचान नहीं हो पाई है. इनमें राजेश मेडिकल स्टोर्स की मालकिन ओमवती गुप्ता भी शामिल थीं. जब एक ग्राहक ने सुबह उसकी दुकान पर क्यूआर कोड के माध्यम से भुगतान किया, तो उसे ग्राहक द्वारा सचेत किया गया कि लिंक किए गए खाते पर नाम बदल दिया गया है.

स्कैनर में बदल गया नाम

एक अन्य लोगों में धोखाधड़ी का शिकार हुआ एक पेट्रोल पंप भी शामिल है. वहां के एक कर्मचारी ने कहा कि कई ग्राहकों ने पैसे ट्रांसफर किए लेकिन यह व्यवसाय के खाते में दिखाई नहीं दे रहा था. कर्मचारी ने कहा, 'हमने स्कैनर की जांच की और नाम छोटू तिवारी आ रहा था. फिर हमने उस स्कैनर को हटा दिया. खजुराहो थाना प्रभारी अतुल दीक्षित ने कहा कि धोखाधड़ी के मामले उनके संज्ञान में आए हैं लेकिन किसी व्यापारी ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है. उन्होंने कहा कि मामले की जांच करायी जाएगी और विश्वास जताया कि जालसाज जल्द ही पुलिस की गिरफ्त में होंगे.

12.6 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली

पिछले महीने मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने साइबर धोखाधड़ी की बढ़ती संख्या पर आंकड़े पेश किए थे. 2024 में, "डिजिटल गिरफ्तारी" धोखाधड़ी के 26 मामले सामने आए, जहां साइबर अपराधियों ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों का रूप धारण करके 12.6 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की. यह 2023 की तुलना में 130% की वृद्धि दर्शाता है, जब केवल एक मामला दर्ज किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप 96,968 रुपये का नुकसान हुआ था.

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