Begin typing your search...

कफ सिरप लिखने के बदले डॉक्टर को मिलता था 10% कमीशन, जानबूझकर दी गई खतरनाक दवा; कोर्ट में पुलिस ने क्या-क्या कहा?

यह मामला अब सिर्फ एक डॉक्टर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें दवा कंपनी, थोक विक्रेता और मेडिकल स्टोर नेटवर्क सभी जांच के घेरे में हैं. पुलिस और स्वास्थ्य विभाग दोनों यह समझने की कोशिश में हैं कि आखिर कैसे एक मिलावटी दवा बच्चों के जीवन के लिए इतनी घातक साबित हुई. फिलहाल अदालत ने डॉक्टर को ज़मानत देने से मना कर दिया है, और जांच एजेंसियां इस पूरे नेटवर्क की परतें खोलने में जुटी हुई हैं.

कफ सिरप लिखने के बदले डॉक्टर को मिलता था 10% कमीशन, जानबूझकर दी गई खतरनाक दवा; कोर्ट में पुलिस ने क्या-क्या कहा?
X
( Image Source:  X : @nostayug )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Published on: 14 Oct 2025 8:04 AM

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में बच्चों की मौत से जुड़ा मामला लगातार गंभीर होता जा रहा है. इस मामले में गिरफ्तार किए गए डॉक्टर डॉ. प्रवीण सोनी पर अब नए आरोप लगे हैं. पुलिस ने अदालत को बताया है कि डॉक्टर को कथित रूप से कफ सिरप 'कोल्ड्रिफ' लिखने के लिए 10% कमीशन दिया जाता था. यही वही सिरप है, जिसे पीने के बाद कई बच्चों की मौत हो गई थी. पुलिस के अनुसार, यह सिरप तमिलनाडु की कंपनी 'श्रीसन फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरर' द्वारा बनाया गया था.

जांच में सामने आया है कि यह कंपनी मिलावटी सिरप तैयार कर रही थी. बताया जा रहा है कि इसी कंपनी से डॉक्टर को हर प्रिस्क्रिप्शन पर कमीशन दिया जाता था. सोमवार को तमिलनाडु सरकार ने इस कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उसका लाइसेंस रद्द कर दिया और उत्पादन बंद करने का आदेश दिया. वहीं, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने श्रीसन कंपनी के कई ठिकानों पर छापेमारी भी की है.

अदालत में हुई सुनवाई

यह मामला अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (परासिया) गौतम कुमार गूजर की अदालत में चल रहा है. डॉ. सोनी ने ज़मानत के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन 8 अक्टूबर को अदालत ने ज़मानत देने से साफ इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि डॉक्टर ने 'जानबूझकर खतरनाक और मिलावटी दवा बच्चों को लिखी' जबकि उन्हें पहले से पता था कि यह सिरप बच्चों के लिए नुकसानदायक है. जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि 18 दिसंबर 2023 को भारत सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह निर्देश दिए थे कि चार साल से कम उम्र के बच्चों को 'फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (FDC)' वाली दवाएं नहीं दी जानी चाहिए.

सिरप से 15 बच्चों की मौत

इसके बावजूद, रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. सोनी ने इन दवाओं और कोल्ड्रिफ सिरप को लिखना जारी रखा, जबकि उन्हें पता था कि यह दवा बच्चों में किडनी फेल होने और पेशाब रुकने जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन रही है. जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अब तक कम से कम 15 बच्चों की मौत इस सिरप के सेवन के बाद हो चुकी है.

डॉक्टर की सफाई

डॉ. सोनी ने अपने ऊपर लगे आरोपों से साफ इनकार किया है. उनके वकील पवन कुमार शुक्ला ने अदालत में कहा कि डॉक्टर एक सरकारी चिकित्सक हैं और उन्होंने सिर्फ मरीजों के इलाज के लिए दवा लिखी थी. उन्होंने कहा, 'डॉक्टर को यह नहीं पता था कि कंपनी का बैच दूषित है. वे पिछले 35-40 सालों से चिकित्सा कर रहे हैं और उन्होंने कभी जानबूझकर हानिकारक दवाएं नहीं दीं.' उनके अनुसार, दवा की क्वालिटी की जांच करना औषधि नियंत्रक विभाग (Drug Controller Department) की ज़िम्मेदारी है, न कि डॉक्टर की.

परिवार और मेडिकल स्टोर पर भी जांच

पुलिस की जांच अब डॉक्टर के परिवार के सदस्यों तक पहुंच गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉ. सोनी के निजी क्लिनिक से सटा हुआ मेडिकल स्टोर उनके रिश्तेदार के नाम पर है, और छिंदवाड़ा में जो कोल्ड्रिफ सिरप का स्टॉकिस्ट था, वह भी उनके परिवार से जुड़ा हुआ पाया गया है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अब जांच में थोक विक्रेताओं (wholesalers) और स्टॉकिस्टों की भूमिका की भी गहराई से पड़ताल की जा रही है.

तमिलनाडु कंपनी के मालिक से पूछताछ

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि 'श्रीसन फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरर' के मालिक रंगनाथन को मध्य प्रदेश की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) ने पूछताछ के लिए तमिलनाडु से हिरासत में लिया है. अब जांच यह पता लगाने पर केंद्रित है कि कंपनी ने किन-किन राज्यों में यह सिरप सप्लाई किया और क्या अन्य इलाकों में भी बच्चों की मौत के मामले इससे जुड़े हो सकते हैं.

एफआईआर और जांच

इस पूरे मामले में 4 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की गई थी. इसमें डॉ. सोनी, श्रीसन कंपनी के निदेशकों और जबलपुर स्थित एक थोक विक्रेता के नाम शामिल हैं. एफआईआर परासिया ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. अंकित सेहलम की ओर से दर्ज कराई गई. शिकायत में कहा गया कि 'डाइएथिलीन ग्लाइकॉल नामक जहरीले रसायन से मिलावटी कोल्ड्रिफ कफ सिरप' पीने के बाद कई बच्चों की तबीयत बिगड़ गई और उनकी मौत हो गई.

बच्चो की किडनी फेल

रिपोर्ट के मुताबिक, परासिया अनुमंडल में पांच साल से कम उम्र के कई बच्चों का इलाज डॉ. सोनी ने किया था. उन्हें सामान्य सर्दी, खांसी और बुखार की शिकायत थी. लेकिन सिरप पीने के बाद बच्चों में पेशाब रुकने, क्रिएटिनिन और यूरिया के स्तर बढ़ने, और किडनी फेल होने जैसी गंभीर समस्याएं सामने आईं. बच्चों को इलाज के लिए परासिया से नागपुर रेफर किया गया, लेकिन सितंबर और अक्टूबर के बीच कई बच्चों की जान नहीं बचाई जा सकी.

MP news
अगला लेख