रक्षाबंधन पर मायके आई विवाहिता से सामूहिक दुष्कर्म, रिपोर्ट करने पर आरोपियों के परिजनों ने दी जान से मारने की धमकी
घटना के बाद पीड़िता ने हिम्मत जुटाकर थाने में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 7 अगस्त को तीनों आरोपियों को सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. लेकिन मामला यहीं नहीं रुका आरोपियों के परिजनों ने पुलिस में शिकायत न करने की धमकी दी थी.

यह घटना मध्य प्रदेश के बैराड़ थाना क्षेत्र की है, जहां रक्षाबंधन के मौके पर मायके आई एक 23 साल की नवविवाहिता के साथ हुई हैवानियत और उसके बाद मिली जान से मारने की धमकी ने पूरे इलाके को दहला दिया है. जानकारी के मुताबिक, पीड़िता कुछ दिन पहले रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने अपने मायके आई थी. 5 अगस्त 2025 को उसके माता-पिता अपने रिश्तेदार, यानी बुआ के घर मुरैना चले गए थे. उस समय घर में वह अकेली थी.
रात करीब 11 बजे खाना खाने के बाद वह आंगन में बने टीनशेड के नीचे सो रही थी. इसी दौरान गांव भदेरा के तीन युवक दीपू कुशवाह, अमन कुशवाह और छोटू कुशवाह वहां पहुंचे. छोटू घर के बाहर खड़ा हो गया, जबकि दीपू और अमन घर के अंदर घुस गए. दोनों ने पीड़िता को दबोच लिया और जबरन सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया.
तेरे भाई को छोड़ेंगे
घटना के बाद पीड़िता ने हिम्मत जुटाकर थाने में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 7 अगस्त को तीनों आरोपियों को सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. लेकिन मामला यहीं नहीं रुका। 7 अगस्त की ही देर रात करीब 10:30 बजे, आरोपी दीपू का भाई सोनू कुशवाह और आरोपी छोटू का भाई कारे कुशवाह, अपने दो अन्य साथियों शिशुपाल कुशवाह और जीतू कुशवाह के साथ पीड़िता के घर जा पहुंचे. चारों ने पहले पीड़िता के पिता को घर के बाहर बुलाया और धमकी दी कि अगर उन्होंने केस वापस नहीं लिया तो उन्हें और उनके परिवार को जान से मार दिया जाएगा. तभी पीड़िता भी वहां आ गई इस पर चारों ने उसे भी खुलेआम धमकाते हुए कहा, 'तूने रिपोर्ट की है, अब हम तुझे, तेरे पिता और तेरे भाई को नहीं छोड़ेंगे.'
गंभीर धाराओं में मामला दर्ज
पीड़िता ने डर के बावजूद हिम्मत दिखाते हुए तुरंत बैराड़ थाने पहुंचकर पूरी घटना की जानकारी दी. पुलिस ने उसकी शिकायत पर चारों आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में आपराधिक मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. यह मामला न सिर्फ अपराधियों की हैवानियत बल्कि पीड़ित पक्ष को डराने-धमकाने की मानसिकता को भी उजागर करता है, और यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर महिलाएं और उनके परिवार न्याय पाने की राह में कितने खतरे झेलते हैं.