क्या है आलिम-फाजिल डिग्रियां जिन्हें सरकारी नौकरी में दी गई मान्यता, जानें कैसे उठी थी मांग?
झारखंड सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए आलिम और फाजिल डिग्रियों को अब सरकारी नौकरियों में मान्यता दे दी है. इस फैसले ने लंबे समय से अपने करियर और भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हजारों योग्य मुस्लिम युवाओं के चेहरे पर खुशी ला दी है.
झारखंड सरकार ने हाल ही में आलिम और फाजिल डिग्रियों को सरकारी नौकरियों में मान्यता देने का ऐतिहासिक कदम उठाया है, जिससे मुस्लिम युवकों के लिए रोजगार के नए अवसर खुल गए हैं. लंबे समय से इन डिग्रियों के आधार पर सरकारी नौकरी के अवसर सीमित रहे, जिससे योग्य उम्मीदवारों के करियर पर असर पड़ा और कई युवकों का भविष्य अनिश्चित बना हुआ था.
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मांग लंबे समय से उठती रही और अब सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए सभी कानूनी और तकनीकी अड़चनों को हटा दिया है. इसके परिणामस्वरूप आलिम और फाजिल डिग्रीधारक अब बिना किसी रुकावट के सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन कर सकेंगे और अपनी योग्यताओं के आधार पर नियुक्ति प्राप्त कर सकेंगे.
क्या है आलिम और फाजिल डिग्रियां?
आलिम और फाजिल डिग्रियां मदरसा शिक्षा पूरी करने वाले छात्रों को दी जाती हैं, जिनमें इस्लामी अध्ययन के साथ-साथ अरबी, फारसी, उर्दू, अंग्रेजी और हिंदी की गहन पढ़ाई शामिल होती है. झारखंड और अन्य राज्यों में इन्हें हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के स्तर के बराबर माना जाता है. यह मान्यता अब छात्रों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलेगी. इस कदम से न केवल मदरसा शिक्षा को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में बराबरी का दर्जा मिला है, बल्कि ऐसे छात्रों के लिए सरकारी नौकरियों और अन्य अवसरों के रास्ते भी खुले हैं.
क्या था मामला?
दरअसल यह मामला तब उठा, जब सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के कारण सहायक आचार्य भर्ती 2023 में चयनित आलिम और फाजिल डिग्रीधारकों के डॉक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन रोक दिया गया था. इसके चलते हजारों कैंडिडेट्स की नौकरियों पर असर पड़ा. इस स्थिति की गंभीरता को देखते हुए झारखंड अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन हिदायतुल्लाह खान ने दखल दिया. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और संबंधित मंत्रियों को लिखित पत्र भेजकर समस्या की पूरी जानकारी दी और साफ किया कि डिग्री की मान्यता न मिलने से मुस्लिम समुदाय के छात्रों के करियर और भविष्य पर नकारात्मक असर पड़ेगा.
सरकार का सरहानीय कदम
हिदायतुल्लाह खान ने जोर देकर कहा था कि मुस्लिम युवाओं के उज्जवल भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए आलिम और फाजिल डिग्रियों की मान्यता तुरंत बहाल की जानी चाहिए. इस पर अब सरकार ने साहसिक कदम उठाते हुए सभी कानूनी और तकनीकी अड़चनों को दूर कर दिया है. इसके परिणामस्वरूप अब आलिम और फाजिल डिग्रीधारक बिना किसी रुकावट या कठिनाई के सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन कर सकेंगे और अपनी योग्यताओं के आधार पर पदों पर नियुक्ति प्राप्त कर सकेंगे. यह फैसला न केवल छात्रों के करियर को सुरक्षा प्रदान करता है बल्कि उन्हें मुख्यधारा में शामिल होने और अपनी शिक्षा का पूर्ण उपयोग करने का अवसर भी देता है.
भविष्य के लिए नई राह
यह निर्णय न केवल मदरसा शिक्षा को बढ़ावा देगा, बल्कि इस शिक्षा प्रणाली से निकले छात्र समाज और अर्थव्यवस्था में भी बराबर योगदान देंगे. हफीजुल हसन ने स्पष्ट किया कि यह पहल शिक्षा में समान अवसर प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो विभिन्न शैक्षणिक पृष्ठभूमि के युवाओं को आगे बढ़ने का मौका देगी. इस तरह झारखंड सरकार ने समावेशी विकास और सामाजिक न्याय के संगम पर एक मिसाल कायम की है.





