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बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रुपैया! 200 रुपये के चक्कर में हुआ था मर्डर, 27 साल बाद पूरी हुई सुनवाई

देवघर में 200 रुपये के लिए एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी और 27 साल बाद कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई. निचली अदालत ने 6 जून, 1997 को आरोपी लखन पंडित, जमादार पंडित, लक्खी पंडित और किशुन पंडित को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इस मामले में वर्ष 1997 में पटना हाईकोर्ट में निचली अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले को चुनौती दी थी.

बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रुपैया! 200 रुपये के चक्कर में हुआ था मर्डर, 27 साल बाद पूरी हुई सुनवाई
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( Image Source:  canva )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Updated on: 20 Nov 2024 5:08 PM IST

Deoghar News: आज के समय से पैसे से बढ़कर लोगों के लिए कुछ नहीं होता है. पैसों के चक्कर में अच्छे खासे रिश्ते ताश के पत्तों की तरह बिखर जाते हैं. कई बार तो बात जान तक पहुंच जाती है. ऐसा ही एक मामला झारखंड के देवघर से सामने आया है. जहां पर 200 रुपये के लिए एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी और 27 साल बाद कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई.

झारखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार (19 नवंबर) को इस मामले में सुनवाई की. तीन दिसंबर 1993 को देवघर के जसीडीह थाना क्षेत्र में नन्नू लाल महतो की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में निचली अदालत ने 6 जून, 1997 को आरोपी लखन पंडित, जमादार पंडित, लक्खी पंडित और किशुन पंडित को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. अब हाईकोर्ट ने इस फैसले को सुरक्षित रखा है.

27 साल में पूरी हुई सुनवाई

जानकारी के अनुसार इस मामले में वर्ष 1997 में पटना हाईकोर्ट में निचली अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले को चुनौती दी थी. पटना हाईकोर्ट ने भी सभी को आरोपियों को जमानत दे दी. फिर झारखंड राज्य के गठन के बाद मामला पटना से झारखंड हाईकोर्ट पहुंचा. इसके बाद किसी ने वकील ने पैरवी नहीं कि और 24 साल केस टला रहा. कोर्ट ने इस महीने याचिकाकर्ता का पक्ष रखने के लिए हाईकोर्ट के एक वकील को जिम्मेदारी दी गई. फिर मंगलवार को बहस होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा.

क्या है मामला?

झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले के संबंध में बीते दिन सुनवाई की. बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा. घटना के बारे में बताया गया कि लखन पंडित ने नन्नू लाल महतो से 200 रुपये यह कहते हुए उधार लिया था कि उसके खेत पर काम कर पैसा लौटा देगा. लेकिन लखन पंडित ने खेत में योगदान नहीं दिया औक न महतो के 200 रुपये वापस किए. फिर 3 सितंबर 1993 को महतो उससे पैसा मांगने उसके गांव शाम को 6 बजे गया, लेकिन वह घर नहीं लौटा था. दूसरे दिन एक अन्य गांव में नन्नू लाल महतो की लाश मिली थी. बता दें कि देश के कई हिस्सों में पैसों को लेकर लड़ाई-झगड़े के मामले अक्सर सामने आते हैं, जिसमें ज्यादातर परिवार के अंदर का कलेश होता है.

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