स्कैम या चुनावी साजिश! झारखंड की सत्ताधारी पार्टी JMM का X अकाउंट हैक, CM हेमंत सोरेन ने किया पोस्ट
JMM Official X Account Hacked: झारखंड JMM का हैंडल @jmmjharkhand ऑफिशियल अकाउंट को किसी ने हैक कर लिया. JMM का अकाउंट बनाने के बाद, एक चूहे का फोटो पोस्ट किया था. कैप्शन में लिखा था कि लाइव ऑन बैंक.

JMM Official X Account Hacked: सोशल मीडिया के जमाने में अकाउंट हैक होना या साइबर ठगी होना एक आम बात हो गई है. आए दिन लोगों के अकाउंट स्कैमर्स हैक कर लेते हैं, लेकिन जब किसी नेता या राजनीतिक पार्टी के सोशल मीडिया हैंडल हैक करने की बात हो तो मामला पलट जाता है. ये राजनीतिक रूप ले लेता है. अब झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) का एक्स हैंडल हैक हो गया है.
JMM का हैंडल @jmmjharkhand ऑफिशियल अकाउंट को किसी ने हैक कर लिया. इस बारे में खुद पार्टी के मुखिया और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया है. उन्होंने अपने एक्स पोस्ट पर स्क्रीशॉर्ट शेयर करके इसकी पुष्टि की. सीएम की पोस्ट के बाद ही सोशल मीडिया पर हंगामा खड़ा हो गया.
सीएम सोरेन ने दी जानकारी
हेमंत सोरेन ने एक्स पोस्ट पर लिखा, कि पार्टी का @jmmjharkhand ऑफिशियल अकाउंट किसी असामाजिक तत्वों ने हैक कर लिया है. उन्होंने इसे साइबर अपराध बताया और पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की मांग की. उन्होंने @XCorpIndia और @GlobalAffairs से मामले पर एक्शन लेने की अपील भी की है.
पार्टा की अकाउंट हैक होने से राज्य में हड़कंप मचा हुआ है. क्योंकि इससे पहले झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता और सीनियर आईएएस ऑफिसर मंजू नाथ भजंत्री का किसी ने फेक अकाउंट बनाकर फ्रॉड करने की कोशिश की थी. JMM का अकाउंट बनाने के बाद, एक चूहे का फोटो पोस्ट किया था. कैप्शन में लिखा था कि लाइव ऑन बैंक.
पहले भी आया था साबर ठगी का मामला
हाल ही में सीआईडी के क्राइम ब्रांच ने एक खुलासा किया था. 4 जिलाई को 7 साइबर अपराधियों को जगन्नाथपुर इलाके से एक होटल से गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने पुलिस को पूछताछ में बताया कि चीन और हांगकांग में स्कैमर्स रांची में साइबर अपराध करने के लिए एजेंट बना रहे हैं. इनमें भारतीय अपराधी भी शामिल हैं. ये झारखंड में रहकर चीनी साइबर अपराधियों के लिए काम कर रहे थे.
पुलिस को जांच में सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच के अनुसार, सभी के पास से व्हाट्सऐप और टेलीग्राफ से बड़ी संख्या में बैंक खातों की जानकारी और डिजिटल सबूत इकट्ठे किए हैं. एजेंटों को चीन से टेलीग्राफ से एक एप्लीकेशन भेजा था. जिसके बाद बैंक से जुड़ी डेटा सिम कार्ड में इंस्टॉल करते हैं.