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'हेमंत मुस्लिम और झारखंड मुस्लिम मोर्चा ने...', क्यों भड़क उठे गिरिराज सिंह? आंकड़ों के साथ कर दिया बड़ा खुलासा

Giriraj Singh Attacks Hemant Soren: झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य में घटती आदिवासी आबादी पर चिंता जाहिर की है. इसे लेकर बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी पर अटैक किया है.

हेमंत मुस्लिम और झारखंड मुस्लिम मोर्चा ने..., क्यों भड़क उठे गिरिराज सिंह? आंकड़ों के साथ कर दिया बड़ा खुलासा
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Giriraj Singh Attacks Hemant Soren
सचिन सिंह
by: सचिन सिंह

Updated on: 18 Sept 2024 5:38 PM IST

Giriraj Singh Attacks Hemant Soren: झारखंड हाई कोर्ट ने हाल में ही राज्य में घटती आदिवासी आबादी को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए थे. राज्य के आदिवासी संथाल परगना में बांग्लादेशी प्रवासियों की घुसपैठ की जांच के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित करने का आदेश दिया. इसे लेकर बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी पर जमकर हमला बोला है. इस दौरान उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन अब हेमंत मुस्लिम और JMM अब झारखंड मुस्लिम मोर्चा हो गया है.

गिरिराज सिंह ने कहा, 'हाई कोर्ट ने झारखंड सरकार के चेहरे को बेनकाब कर दिया है. राज्य में 1951 में आदिवासी आबादी 44.67% थी और अब आज घटकर 28.11% से भी कम हो गई है. केवल मुस्लिम वोट के प्रेम में शिबू सोरेन से लेकर हेमंत सोरेन तक, अब तो लगता है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा का नाम बदलकर झारखंड मुस्लिम मोर्चा और हेमंत सोरेन का नाम बदलकर हेमंत मुस्लिम कर देना चाहिए.'

'खतरे में है झारखंड की पहचान'

गिरिराज सिंह ने आगे कहा, 'यही बात चंपई सोरेन ने विधानसभा में उनके साथ रहते हुए कहा था. जब आदिवासी ही नहीं बचेंगे तो नेता कैसे रहेंगे. लेकिन झारखंड मुस्लिम मोर्चा के मुख्यमंत्री हेमंत मुस्लिम को ये बात समझ नहीं आ रही है कि झारखंड की पहचान और अस्मिता खतरे में है. झारखंड का आदिवासी और हिंदू खतरे में है. इसके लिए झारखंड के तमाम आदिवासी और सनातनी को एक होना पड़ेगा.

हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान

झारखंड हाई कोर्ट के मुताबिक, झारखंड राज्य सरकार ने पाकुड़, देवघर, दुमका, गोड्डा और जामताड़ा के उपायुक्तों की ओर से दायर हलफनामों के माध्यम से किसी भी घुसपैठ से इनकार किया है. वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार घुसपैठ का दावा कर रही है. कोर्ट ने यह भी कहा कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि 12 अंकों की आधार संख्या केवल पहचान के लिए है और यह नागरिकता का आधार नहीं बन सकती है.

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